इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर (Indore) में चुनावी जनसंपर्क अपने चरम पर है। यहां 85 वार्डो में कांग्रेस (MP Congress) और बीजेपी (BJP Madhya Pradesh) के पार्षद प्रत्याशियों सहित सैंकड़ों निर्दलीय प्रत्याशी सड़क से लेकर गलियों तक लोगों से मेल मिलाप कर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे है। वहीं महापौर प्रत्याशी भी सत्तासीन होने के लिए जमकर मेहनत कर रहे है । इधर, 5 साल का हिसाब अब जनता मांग रही है और कई स्थानों पर जनता इतनी नाराज है कि वो जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की अनदेखी के चलते मतदान का विरोध कर रही है।
दरअसल, लोकतंत्र के उत्सव का विरोध इंदौर में रविवार को किया गया। यहां विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 के वार्ड 52 के रहवासियों ने अपनी मांगे पूरी नहीं होने पर नाराजगी जताई और निकाय चुनाव का अनूठे तरीके से विरोध किया। रहवासियों ने मतदान का विरोध करते हुए मांगें पूरी नहीं तो वोट नहीं जैसे बैनर लेकर वोट मांगने आ रहे प्रत्याशियों को अपनी नाराजगी जताई।
रहवासियों का आरोप है कि पिछले 10 वर्षों से यहां रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, यहां असामाजिक तत्वों द्वारा महिलाओं से छेड़छाड़ की जाती है। रहवासियों के मुताबिक कई दफा बड़े स्तर पर शिकायत के बावजूद भी उनकी समस्या बरकरार है। इधर, जब बीजेपी प्रत्याशी सपना उमेश मंगरोला ने अपने प्रतिनिधि को पहुंचाकर लोगों को शांत करने का प्रयास किया तो जनता का विरोध खुलकर सामने आया और पार्षद प्रत्याशी ने बाद में मौके पर पहुंचकर जनता से वादा किया उनके चुनाव जीतने के बाद वो रहवासियों की समस्याओं का निराकरण करेगी।
रहवासियों के मुताबिक आईडीए स्कीम नंबर 94 मल्टी और आसपास में स्थित बिल्डिंगों में बीते 10 वर्षों से सड़क, बिजली व पानी को लेकर रहवासी तरस रहे हैं। यहाँ प्रत्याशी वोट के लिए आते जरूर है लेकिन जीतने के बाद वापस नहीं आते है। इसलिए अब रहवासियों ने कहा कि मांगें पूरी नहीं तो वोट नहीं जैसा बैनर लगाकर विरोध स्वरूप जमकर नारेबाजी की।
फिलहाल, रहवासियों को अब प्रशासन मनाने की तैयारी में जुट गया है और उन्हें उम्मीद है कि इलेक्शन के बाद उनकी समस्याओं का निराकरण हो जाएगा हालांकि अब कांग्रेस भी रहवासियों को आश्वस्त करती नजर आ रही है। बता दे कि इसके पहले रिक्शा चालकों ने वोट नही देने को लेकर नाराजगी जताई थी।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....