Indore News- गूगल से लगाया गांव का पता, मासूम को 4 घंटे में मां-बाप से मिलाया

Pooja Khodani
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। गूगल (Google) पर सर्च करने पर सब कुछ मिल जाता है और इसका जीता जागता उदाहरण इंदौर में देखने को मिला। दरअसल, इंदौर (Indore) के भंवरकुआं थाना इलाके में स्थित एक घर से 7 वर्षीय बच्चा लापता हुआ जिसके बाद पुलिस ने गूगल की मदद से परिजनों को ढूंढकर बच्चे को चंद घंटों के भीतर ही माता-पिता के हवाले कर दिया है।जी हां ये सच है और डिजिटल वर्ल्ड में सबकुछ संभव भी है। भंवरकुआं थाना पुलिस ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि एक बेटे को उसके परिजन मिल गए है।

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दरअसल, शुक्रवार को इंदौर के अभिनव नगर में रहने वाला एक 7 वर्षीय बच्चा हिमांशु खेलते – खेलते अपने घर से दूर निकल गया और वह शहर के भीड़ भाड़ वाले इलाके में पहुंच गया और रास्ता भटक जाने के कारण वह परेशान होकर रोने लगा तभी गश्त कर रहे दो पुलिसकर्मियों (Policeman) की नजर उस पर पड़ी और जब बच्चे से पूछताछ की तो कुछ भी बता नहीं पा रहा था। जिसके बाद पुलिसकर्मी उसे थाने लेकर पहुंचे जहां बच्चे को दुलार कर चॉकलेट और उपहार देकर पुलिसकर्मियों ने पहले विश्वास में ले लिया।

इसके बाद जब मासूम से उसके अपने घर (Home) का पता पूछा गया तो वह शिवनी मालवा का जिक्र करने लगा। तब ही पुलिस ने गूगल की मदद से उसके गांव का पता निकाला और संबंधित थाने से बातचीत कर पुलिस को बच्चे की तस्वीर भेजी गई। इसके बाद शिवनी मालवा पुलिस ने फोटो लेकर अपने क्षेत्र में पड़ताल शुरू की तो पता चला कि हिमांशु नामक बच्चा फिलहाल, इंदौर के अभिनव नगर रहने वाले रवि नामक शख्स का बेटा हिमांशु है। जिसके बाद तत्काल इंदौर पुलिस (Indore Police) ने हिमांशु के पिता का नम्बर लेकर इसकी जानकारी दी। वही बाद में थाने पर पहुंचकर माता-पिता अपने लाल को थाने से लेकर आये इसके पहले जब माता पिता थाने पहुंचे तो उनकी आंखों में आंसू भर आए और उन्होंने दिल से पुलिस को धन्यवाद दिया।

महज 4 घण्टे में पुलिस ने तकनीक की मदद से बच्चे को माता पिता के पास सकुशल सुपुर्द कर दिया जो पुलिस के लिए एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। इधर, थाने से घर लौटते वक्त मासूम हिमांशु भी पुलिस अंकल को धन्यवाद कहता नजर आया। इस मामले में जांच अधिकारी मधुकर विश्वकर्मा ने बताया कि कैसे इस मामले को आसानी से सुलझा गया है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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