Indore News : सुमित्रा महाजन का छलका दर्द, बोली- अब मुझे कौन पूछता

Pooja Khodani
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सुमित्रा महाजन

इंदौर, आकाश धोलपुरे। नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Election) से पहले एक बार फिर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष व इंदौर से सांसद रही सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan का दर्द छलक आया है। ताई ने इशारो ही इशारों में उन्हें पार्टी द्वारा दरकिनार करने की बात कही है। ताई का कहना है कि अब उन्हें कोई नहीं पूछता। वो आज हैं, कल रहेंगी या नहीं, कह नहीं सकते।ताई के इस बयान से बीजेपी (BJP) में हलचल तेज हो चली है वही कांग्रेस ताई के समर्थन की बात कर बीजेपी पर हमले बोल रही है।

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दरअसल, शनिवार को पूर्व लोकसभा अध्यक्षा व सांसद सुमित्रा महाजन ‘ताई’ द्वारा सर्वप्रथम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Smart City Project) के तहत निर्माणधीन कला संकुल भवन का अवलोकन किया गया।निरीक्षण के दौरान वर्तमान में कितना कार्य हुआ है और कितना कार्य शेष रहा है के संबंध में सबंधित अधिकारियो से जानकारी ली। वही कार्यो की सराहना करते हुए, किस ऑडिटोरियम में कौन सी एक्टिविटी कि जावेगी के संबंध में भी अधिकारियो से चर्चा की गई। इसके पश्चात स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत गांधी हॉल में किये गये जीर्णोद्धार कार्यो का भी अवलोकन किया गया।

इस दौरान मीडिया ने जब उनसे नगरीय निगम चुनाव में अपने समर्थकों के लिए टिकट मांगने पर सवाल किया गया तो तो उन्होंने कहा कि अब मैं कौन हूं, मुझे कोई पूछता नहीं है. आज हूं, कल रहूंगी या नहीं पता नहीं।वही आज रविवार को होने वाले शिवराज सरकार (Shivraj Government) के मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet expansion) को लेकर कहा कि शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में इंदौर को उचित प्रतिनिधित्व देने की भी मांग की है। ताई ने कहा कि इंदौर को तवज्जो मिलनी चाहिए, तो अच्छी बात है, नहीं मिलते हैं तो रोष जाहिर करना चाहिए। वही उन्होंने कहा कि महापौर का प्रत्याशी विजन वाला होना चाहिए।

बता दे कि सुमित्रा महाजन इंदौर सीट से लगातार आठ बार की सांसद रह चुकी हैं। मोदी सरकार (Modi Government) के पहले कार्यकाल में वह 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष रही थी। हालांकि 17वीं लोकसभा में उन्हें इंदौर से टिकट नहीं दिया गया, इसको लेकर ताई की नाराजगी भी सामने आई थी। वही बीते साल उनके राज्यपाल बनने की चर्चाएं भी जोरों पर रही, लेकिन कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई।हालांकि राजनीति में वे सक्रिय है बावजूद इसके उनके राजनीतिक करियर को एक तरह से विराम लग गया।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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