इंदौर।आकाश धोलपुरे।
इंदौर के जूनि इंदौर क्षेत्र से सोमवार ऐसी तस्वीरें सामने आई है जिन तस्वीरों ने जता दिया है कि इंदौर में सामाजिक और धार्मिक समरूपता है और वो आगे भी बनी रहेगी। दरअसल, इंदौर में कोरोना का कहर व्याप्त है और बीते बुधवार को शहर के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र टाटपट्टी बाखल में स्वास्थ्य विभाग की टीम पर रहवासियों ने हमला बोल दिया था हालांकि उसके बाद हमले में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। वही घटना के बाद शहर की बदनामी समूचे देश मे हुई थी और यहां की हिन्दू मुस्लिम एकता पर सवाल उठने लगे थे।
घटना के 5 दिन बाद इंदौर से जो तस्वीरे सामने आई है उससे फिर ये साबित हो गया है कि इंदौर, धर्म भेद नही बल्कि इंसानियत के लिए जाना जाता है। सोमवार को इंदौर साउथ तोड़ा क्षेत्र में द्रोपदी नामक वृद्ध महिला का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया इसके बाद उनके अंतिम संस्कार की बात आई तो क्षेत्र मुस्लिमजनो ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर ना सिर्फ शवयात्रा निकाली बल्कि मुखाग्नि के दौरान भी सभी मौजूद रहे। बता दे कि महिला द्रौपदी को क्षेत्र के सभी लोग दुर्गा माँ के नाम से भी बुलाते थे और जब सबकी माँ दुनिया से चली गई तो क्षेत्रीय रहवासियों ने उनका अंतिम संस्कार किया। बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली वृद्धा के 2 बेटे है लेकिन उनके पास रुपये नही थे लिहाजा पहले परिवार के दामाद ने अंतिम संस्कार का सामान मंगवाया वही बाद में मुस्लिमजनो ने मुखाग्नि की लकड़िया परिजनों को दिलवाई इसके अलावा उनकी आर्थिक तौर पर मदद भी की। अंतिम यात्रा के वक्त अकील की आंखे भी नम थी और असलम, मुद्दसर, राशिद इब्राहिम, और इमरान सिराज की भी।
शवयात्रा में शामिल हर शख्स के मुंह पर मास्क था और आंखे नम थी फिर भी लोगो ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर आखिरकार वृद्धा का अंतिम संस्कार किया और शौक सन्तप्त परिवार को अपनेपन का विश्वास दिलाया और आर्थिक मदद भी की। माना ये जा रहा है कि वृद्धा के अंतिम समय में दिखी धार्मिक एकता ने एक बार उस खाई को मिटाने की कोशिश की है जिसके कारण शहर की तहजीब का माखौल उड़ाया जा रहा था।