Lata Mangeshkar : सुमित्रा महाजन और कैलाश विजयवर्गीय ने ऐसे किया याद

Atul Saxena
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। स्वर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) आज संगीत जगत को सूना कर गई, उनके स्थान को भरना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। लता दीदी (Lata Didi) के जाने के बाद इंदौर (Lata Didi Indore Connection) के लोग उन्हें याद कर रहे हैं। लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमिता महाजन ने इसे एक संगीत युग का अंत बताया वहीं भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि हम इंदौर(Indore News) में बुलाकर उनका अभिनन्दन नहीं कर पाए इसका अफ़सोस रहेगा वे किसी कारण नहीं आ सकी। उन्होंने कहा कि लता दीदी का शरीर हमारे बीच में नहीं है पर उनकी आवाज जब तक धरती है तब तक जिंदा रहेगी।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने लता दीदी के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि इंदौर ही नहीं,  देश ही नहीं बल्कि सारी दुनिया के जो संगीतप्रेमी हैं जो उनकी आवाज के दीवाने हैं निश्चित रूप से आज सभी दुखी हैं। मैं समझ सकता हूँ कि उनकी आवाज में वो ताकत थी कितना भी संत पुरुष हो जब उनका प्रेम गीत चलता था तो उसे सुनकर एक आनंद की लहर दौड़ने लगती थी । कितना भी गैरजबावदार व्यक्ति हो वो जब उनके राष्ट्रभक्ति के गाने सुनता था तो उसकी रगों में खून दौड़ने लगता था। वही कितना भी बेदर्द व्यक्ति हो पर जब उनके दर्द भरे गीत सुनता था तो उसकी आंखों में आंसू आ जाते थे । उन्होंने कहा कि लता दीदी का शरीर हमारे बीच में नहीं है पर उनकी आवाज जब तक धरती तब तक जिंदा रहेगी।

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कैलाश विजयवर्गीय ने आगे कहा कि हम इंदौर वाले बहुत दुखी इसलिए है क्योंकि वो इंदौर को बेटी है और मैं महापौर था तब से मैं चाहता था कि वो इंदौर आएं मैं गया था उनके पास, पर किसी एक घटना के कारण वो इंदौर आने के लिए तैयार नहीं थी। हम सब बात के लिए की दुखीहैं  कि वो इंदौर की बेटी होने के बाद भी अपने अंतिम समय में इंदौर नहीं  आई और हम उनका स्वागत और अभिनंदन नहीं कर सके पर लता जी का जाना भारत के लिए ही नहीं पूरे संगीत की दुनिया के लिए बहुत दुखद है। मैं उनके चरणों मे श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

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वही पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने दुख की इस घड़ी में कहा कि लता जी का देहांत हुआ है हम सबके लिए वो सहन करना कठिन है। हम उनकी स्मृति को नमन ही कर सकते हैं  और एक स्वर युग का अंत कहा जा सकता है मगर आने वाली पीढ़ी दर पीढ़ी हम अपने आपको भाग्यशाली मानेंगे कि हमने देखा था लता जी को हमने प्रत्यक्ष सुना था।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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