इंदौर| आकाश धोलपुरे| मध्यप्रदेश में उपचुनाव (BY ELection) के पहले सियासी पारा चढ़ा हुआ है। ये ही वजह है कि उपचुनाव के एपि सेंटर सांवेर की सीट (Sanwer) दोनों ही प्रमुख दल किसी भी कीमत पर हारना नही चाहते है। प्रदेश की सांवेर सीट ही वो सीट मानी जा रही है जहां से बिगड़े समीकरण ने प्रदेश की सत्ता को पलट कर रख दिया है लिहाजा अब इस सीट पर कांग्रेस (Congress) के अपने दावे है तो बीजेपी (BJP) के अपने तर्क।
हालांकि इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी तो लगभग तय माना जा रहा है लेकिन कांग्रेस इस सीट पर उम्मीदवार को लेकर कोई मन अब तक नही बना पाई है| वही राजनीतिक गलियारों की चर्चाओं में कांग्रेस से प्रेमचंद गुड्डू तो बीजेपी से मंत्री तुलसी सिलावट का नाम तय माना जा रहा है। इधर, कांग्रेस की चुनावी कमान जीतू पटवारी ने संभाल रखी है और ये ही वजह है कि वो सोशल मीडिया के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में बैठक लेकर ना सिर्फ मंत्री सिलावट सहित प्रदेश सरकार से 2 लाख रुपये की कर्ज माफी की मांग को प्रमुखता से उठा रहे है।
बता दे कि इंदौर की सांवेर विधानसभा सीट ग्रामीण क्षेत्र से आती है ऐसे में पूर्व मंत्री और वर्तमान ने कांग्रेस के मीडया प्रमुख जीतू पटवारी लोगो को याद दिला रहे है कि कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान बिजली के बिलो की माफी, फसल की उपज की सही कीमत सहित अन्य विकास से जुड़े काम किये गए वही जो बीजेपी कर्ज माफी की बात करती थी वो आज तक किसानों को कर्ज से मुक्त नही करा पाई।
इधर, बीजेपी में शामिल होकर कांग्रेस को चुनौती देने वाले मंत्री तुलसी सिलावट ने भी अब कांग्रेस पर पलटवार शुरू कर दिया है जिसकी बानगी बीते 1 माह में इंदौर में देखने व सुनने को मिल रही है। बुधवार को मंत्री तुलसी सिलावट और बीजेपी जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर की मौजूदगी में बीजेपी ने उपचुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देकर 60 कांग्रेसियो को बीजेपी में शामिल करा दिया। उपचुनाव से पहले 60 कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली जिनमे कांग्रेस के पूर्व सरपंच औऱ उपसरपंच भी शामिल है और ये ही वजह है कि उस बात को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। रेसीडेंसी कोठी पर आयोजित कार्यक्रम में सभी कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल हुए। इसी दौरान कांग्रेस द्वारा 2 लाख की कर्जमाफी पर मंत्री तुलसी सिलावट ने पलटवार कर कहा की कांग्रेस को मौका मिलने के बावजूद भी किसी भी किसान का 2 लाख तक का कर्जा माफ नहीं किया गया। वही मंत्रियों के विभाग के बंटवारे को उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार बताया।
कुल मिलाकर इंदौर में उपचुनाव के पहले ही सियासी पारा सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ है जिसकी सीधी वजह है कि दोनों ही दलों ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है हालांकि दोनों ही दलों को ये भी पता है कि उपचुनाव की एक भी सीट खोना याने सियासत से हाथ धोना है।