इंदौर, आकाश धोलपुरे। रिश्तों की डोर कितनी नाजुक होती है इस बात का अंदाजा आसानी से इसलिये लगाया जा सकता है कि डिजिटल युग में किसी के पास किसी के लिए समय नहीं होता और बहुत सी परिस्थितियों में यदि समय होता भी है तो रिश्ते निभाने की बजाय उसमें खटास आ जाती है। ये सब बातें इंदौर में शुक्रवार को हुई एक हत्या के बाद चरितार्थ रूप में सामने आ रही है। शुक्रवार को तैश में आकर धारदार हथियार से बड़ी बहन के पति ने छोटी बहन के पति की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी थी। परदेशीपुरा थाना से कुछ ही कदम की दूरी पर शुक्रवार को हुए हत्याकांड के बाद एक तरह से पारिवारिक अंतर्कलह खुलकर सामने आई थी। अब इस पूरे हत्याकांड का खुलासा हो गया है और हत्यारा बड़ा साढ़ू अब पुलिस गिरफ्त में है।
दरअसल, शुक्रवार को दिनदहाड़े सरेराह हेमंत मौर्य नामक शख्स की हत्या उसके बड़े साढ़ू भाई कपिल पंडित ने कर दी थी। धारदार हथियार से गर्दन पर वारकर कपिल पंडित मौके भाग गया था। हेमंत मौर्य को खून से लथपथ हालत में एम.वाय. अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने प्रकरण दर्ज हत्यारे की तलाश शुरू कर दी।
इंदौर की परदेशीपुरा पुलिस ने 24 घण्टे के अंदर हो हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस गिरफ्त में आये हत्यारे बड़े साढ़ू कपिल पंडित ने हत्या कबूल करने के साथ ही हत्या की वजह भी बताई जो हैरान कर देने वाली थी। कपिल पंडित को शक था कि उसकी साली, साढ़ू और उसकी सास उसकी पत्नी को सिखाती (रिश्तों की विवादित सीख देना) थी। उसका शक धीरे – धीरे गहराने लगा और फिर उसने शुक्रवार दोपहर को कोर्ट जाने के बहाने अपने छोटे साढ़ू हेमंत मौर्य को बुलाया फिर अचानक उस पर हमला बोलकर उसकी हत्या कर दी। कपिल पंडित यहीं नहीं रुका इसके बाद वो भागने की बजाय सीधा आजाद नगर स्थित अपनी सास के घर पहुंचा और उस पर भी हमला बोल दिया। वक्त रहते यदि पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं करती तो वह अपनी साली की भी हत्या को अंजाम दे देता।
फिलहाल, हत्या का आरोपी बड़ा साढ़ू कपिल पंडित अब पुलिस की गिरफ्त में है और पुलिस की पूछताछ जारी है ताकि हत्या से जुड़ी अन्य बातों का और भी खुलासा हो सके। बहरहाल इंदौर में सामने आई इस घटना ने जहां रिश्तों को तार – तार कर दिया वहीं दूसरी ओर सवाल ये भी उठ रहा है कि आधुनिक युग में क्या अच्छे से निभाये जाने वाले रिश्तों का हश्र मामूली बातो को लेकर ऐसे होगा।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....