देश की राजधानी दिल्ली से पलायन की खबरे तो आप इन दिनों देख व सुन रहे होंगे लेकिन इसी बीच अब मध्यप्रदेश के सबसे सनेसीटिव कोरोना क्षेत्र इंदौर से भी लोग पलायन कर रहे है। वही अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश के अलग अलग जिलों, तहसीलों और कस्बो में रहने वाले लोग भी इंदौर से गुज़र रहे है। लोगो की माने तो कोरोना तो ठीक है लेकिन इसके पहले वे भूख से मर जायेंगे लिहाजा अब वे पैदल ही सैंकड़ो किलोमीटर का सफर करने को तैयार है।
दरअसल, आज याने रविवार को इंदौर के मध्य क्षेत्र से गुज़र रहे मज़दूरों की रेलमपेल ने बता दिया कि भूख से बड़ी कोई बीमारी नही होती है और शासन – प्रशासन के दावे भी अब उनको राहत नही दे रहे है। इंदौर के एम. जी. रोड़ से होते हुए गुजरात मे काम करने वाले 60 मज़दूर अपने ठेकेदार के साथ निकल रहे थे उन्हें फ़िक्र नही थी की इंदौर कोरोना से मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा प्रभावित है। बावजूद इसके उन्हें सिर्फ अपनी मंज़िल ही दिखाई दे रही थी। किसी को सतना, किसी को सिंगरौली, किसी को रीवा तो किसी होशंगाबाद जाना था।
शहर के सीमावर्ती क्षेत्रों में तो आलम ये है कि यहा शहर में देहाड़ी मजदूरी कर अपना घर चलाने वाले मज़दूर अपने परिवार के साथ ही अपने आशियाने को समेट कर सायकल पर चलते दिखाई दिए। पेट की आग और कोरोना का डर इन दोनों में से ये मज़दूर तय नही कर पा रहे थे कहा जाय जाए क्योंकि एक तरफ कुंआ है तो एक तरफ खाई। लिहाजा, सभी निकल पड़े उस सफर की ओर जिसका समापन मंज़िल पर होगा और रास्ते मे लोगो की मेहरबानी होगी या नही, इसकी कोई फ़िक्र नही।
लोगो के इस पलायन के आगे इंदौर में आज प्रशासन भी मजबूर दिखा और मज़दूर आस लगाए थे कि जैसे तैसे मध्यप्रदेश सरकार उन्हें अपने घर तक पहुंचा दे लेकिन तस्वीरे बयां करने के लिए काफी है कि जिंदगी और मौत के संघर्ष के बीच बेरोजगारी और भूख के दर्द से बिलखते लोग कैसे पहुंचेंगे। बता दे कि लोगो का ये पलायन इस बात का भी संकेत है कि कही कोरोना शहर से गांव की ओर ना रुख कर जाए। ऐसें में सवाल सरकार से है कि वो कितनी मुस्तैद से पलायन की स्थिति पर लगाम लगा पाती है।