मध्यप्रदेश के जबलपुर से सामने आए इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाले ने शासन-प्रशासन को मुश्किल में डाल दिया है। दरअसल फर्जी दस्तावेजों और बोगस फर्मों के जरिए करोड़ों का टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सरकार को भारी नुकसान पहुंचाया गया है। वहीं आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने इस घोटाले में मुख्य आरोपी विनोद कुमार सहाय उर्फ एनके खरे को झारखंड के रांची से गिरफ्तार किया है। आरोपी को जबलपुर की जिला अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 2 जुलाई तक रिमांड पर सौंप दिया गया है।
दरअसल पूरे घोटाले की शुरुआत फर्जी फर्म बनाकर की गई थी। आरोपी ने भोले-भाले ग्रामीणों को लोन दिलाने का झांसा देकर उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो, बैंक स्टेटमेंट और जमीन से जुड़े दस्तावेज जमा किए। इन कागजातों का दुरुपयोग कर उसने अलग-अलग नाम से जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराया और फर्जी फर्म खड़ी कर दी। इसके बाद इन बोगस कंपनियों के नाम पर कागजों में बड़ी-बड़ी खरीदी-बिक्री दिखाई गई और उसके आधार पर करोड़ों का इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर लिया गया। इनकम टैक्स और जीएसटी विभाग की नजर से बचने के लिए सारे ट्रांजैक्शन सिर्फ कागजों में किए गए। इस तरह सरकारी खजाने को 34 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया गया।

तीन शहरों में फैला था इनपुट टैक्स क्रेडिट फर्जीवाड़ा
दरअसल पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि जबलपुर के अलावा भोपाल और इंदौर में भी उसने इसी तरह फर्जी फर्म बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दुरुपयोग किया। खास बात ये है कि ये घोटाला 2019-2020 के दौरान अंजाम दिया गया, जब जीएसटी सिस्टम अभी भी व्यवस्थित हो रहा था।
जांच में सामने आया है कि आरोपी ने इन तीन शहरों में एक संगठित गिरोह बनाकर यह पूरा खेल रचा था। गिरोह का काम था भोले-भाले ग्रामीणों को अपने जाल में फंसाकर उनसे कागजात जुटाना और फिर उनके नाम से बोगस फर्म रजिस्टर कर सरकारी टैक्स सिस्टम में सेंध लगाना। यह पूरी साजिश लंबे समय से बिना किसी बड़े शक के चलती रही, जिससे सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ।
शिकायत से खुला राज
वहीं इस पूरे घोटाले का खुलासा प्रताप सिंह लोधी की शिकायत से हुआ। उन्होंने बताया कि उनके नाम से फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन किया गया है। इस शिकायत के बाद वाणिज्य कर विभाग की सहायक आयुक्त वैष्णवी पटेल और ज्योत्सना ठाकुर ने रिपोर्ट बनाई, जिसमें धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की बात कही गई। इसके बाद EOW ने इस केस को टेकओवर कर लिया। गिरफ्तारी के बाद अब पूछताछ के दौरान कई और फर्जी कंपनियों और लोगों के नाम सामने आने की संभावना जताई जा रही है। साथ ही यह भी संभावना है कि इस गिरोह का नेटवर्क कई और शहरों में फैला हो। EOW की टीम आरोपी की रिमांड के दौरान उसकी कॉल डिटेल्स, बैंक ट्रांजैक्शंस और अन्य डिजिटल सबूतों की भी जांच करेगी।
जबलपुर से संदीप कुमार की खबर