गुना बस हादसे का दर्द अब तक कम भी नहीं हुआ था कि मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में एक बार से भ्रष्टाचार की खबरें सामने आ रही हैं। इस बार मामला इंदौर आरटीओ का बताया जा रहा है। इस मामले में एक बार फिर परिवहन अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार कर फिटनेस प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ किया गया है।
यह है पूरा मामला
दरअसल इस मामले में तीन शिकायतकर्ताओं सुरेंद्र तवानी राज फौजदार और मंगल सिंह चौहान ने नर्मदा पुरम आरटीओ में एक अज्ञात बस सेवा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी इस शिकायत में शिकायतकर्ताओं ने बस क्रमांक MP47P0247 और MP47P0347 के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। यह बस इंदौर से पांढुरना के बीच संचालित होती है और हरदा आरटीओ में Sitting Bus के तौर पर पंजीकृत है।
इतना ही नहीं शिकायत करता हूं मैं अपनी शिकायत में यह भी स्पष्ट किया की नियम 164 के अनुरूप बस में यात्रियों के चढ़ने और उतरने के लिए दो दरवाजा की जगह एक ही दरवाजा मौजूद है। साथ ही बस में किसी भी तरह का इमरजेंसी गेट भी नहीं दिया गया है।
बस की बॉडी को भी वैधानिक तौर से सेटिंग बस की जगह स्लीपर बस में बदलाव किया गया है जो निश्चित तौर पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा ही गंभीर खतरा है।
शिकायत करता हूं की शिकायत पर जांच करते हुए नर्मदा पुरम आरटीओ ने दोनों ही बसों की जांच कराई और जांच में शिकायत को बिल्कुल सही पाया। शिकायत सही पाने के बाद आरटीओ नर्मदा पुरम ने दोनों बसों के फिटनेस और परमिट को भी निरस्त कर दिया।
अनफिट बस को दिया फिटनेस सर्टिफिकेट
लेकिन हद तो तब हो गई जब 4 जनवरी 2024 को निरस्त किए गए दोनों बसों के फिटनेस और परमिट को नजरंदाज करते हुए इंदौर आरटीओ में पदस्थ आरटीओ राजेश गुप्ता द्वारा बस क्रमांक MP47P0247 को फिर से दूषित प्रक्रिया कर 29 जनवरी को एक बार फिर फिटनेस सर्टिफिकेट दे दिया गया।
यह अनैतिक लाभ निश्चित तौर पर न केवल विभाग में भ्रष्टाचार की पोल खोलता है, बल्कि विभाग के अधिकारियों की नजर में आम इंसान की जान की क्या कीमत है इस पर भी बड़ा सवाल पैदा करता है।
अब देखने लायक बात यह भी रहेगी कि यह पूरा वाकया सामने आने के बाद परिवहन विभाग परिवहन अधिकारी के ऊपर क्या कार्रवाई करता है।