सूचना आयुक्त पर चला जबलपुर हाइकोर्ट का डंडा, आवेदक को सूचना ना देने पर लगाया 40 हजार का जुर्माना

हाईकोर्ट ने सूचना आयुक्त के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने सूचना आयुक्त पर 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और आदेश दिया कि आवेदक से 2 लाख 38 हजार रुपये की फीस नहीं ली जाए।

Bhawna Choubey
Published on -

Jabalpur News: जबलपुर हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फ़ैसले में सूचना आयुक्त पर 40 हज़ार रुपया का जुर्माना लगाया है और आवेदक को 2 लाख 38 हज़ार रुपये की जानकारी मुफ़्त में उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया है। आपको बता दें, यह आदेश भोपाल के फ़िल्म निर्माता नीरज निगम की याचिका पर जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट से आया है।

नीरज निगम में सूचना का अधिकार के तहत जानकारी माँगी थी, लेकिन 30 दिनों के भीतर जानकारी नहीं दी गई। इतना ही नहीं एक महीने के बाद जानकारी देने के बदले में सूचना आयुक्त ने 2 लाख 38 हजार रूपये की मोटी राशि भी माँगी। इस मामले में हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, की आयुक्त का काम सिर्फ़ सरकार के एजेंट की तरह व्यवहार करना नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आवेदक को 30 दिनों के अंदर जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए थी। इसके बावजूद सूचना आयुक्त ने नीरज निगम की RTI अपील को ख़ारिज कर दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकारी अधिकारियों को पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए ख़ासकर जब मामला RTI से जुड़ा हुआ हो।

क्या होता है सूचना का अधिकार (RTI)

अगर आपको नहीं पता है कि सूचना का अधिकार (RTI) क्या होता है तो चलिए हम आपको बता देते हैं। सूचना का अधिकार भारत में एक क़ानूनी अधिकार है, जो नागरिकों को सरकारी विभागों और संस्थानों से जानकारी माँगने का अधिकार देता है। यह अधिकार 2005 में लागू हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है।

कोई भी नागरिक सरकारी विभागों संस्थानों और एजेंसियों से जानकारी माँग सकता है। जानकारी माँगने के लिए सिर्फ़ 10 रुपये का शुल्क जमा करना होता है। अगर प्राप्त जानकारी से अभी तक संतुष्ट नहीं है तो वह अपील कर सकता है । इस नियम के अनुसार नागरिकों को सरकारी कामकाज में भागीदारी का अवसर मिलता है।

कब तक मिल जाती है जानकारी

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत यह नियम है कि किसी भी आवेदन को प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। यह समय सीमा सुनिश्चित करती है, कि सरकारी विभाग और अधिकारी जानकारी देने में देरी न करें और आवेदक को समय पर उतर मिले।

 


About Author
Bhawna Choubey

Bhawna Choubey

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

Other Latest News