जबलपुर/ संदीप कुमार। कोरोना वायरस के कारण पूरे प्रदेश सहित जबलपुर जिले में भी ढाई महीने तक पूर्णता लॉकडाउन लगा रखा था। हालात कुछ सामान्य हुए तो सरकार और जिला प्रशासन ने आमजनों को राहत दी। इतना ही नही कई संस्थानों और प्रतिष्ठानों को भी छूट दी गई। पर एक तबगा ऐसा भी है जो कि अनलॉक में भी पूरी तरह से लॉक डाउन है, इन लोगो के पास दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो रहा है। ये तबगा है नाविक, जो कि नाव चला कर अपने परिवार का पालन पोषण करता था, पर कोविड-19 में लगे लॉक डाउन ने इनके काम को पूरी तरह से बंन्द कर दिया है। अब ये नाविक सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है।
नर्मदा के ग्वारीघाट, तिलवारा घाट और भेड़ाघाट में चलती है सैकड़ों नावें
मां नर्मदा का जबलपुर आस्था का केंद्र है। नर्मदा के ग्वारीघाटघाट, तिलवाराघाट और भेड़ाघाट में हजारों श्रद्धालु रोजाना दर्शन करने आते थे। दर्शन के दौरान यह श्रद्धालु नाव का ही इस्तेमाल करते थे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन ने इन नाविकों का रोजगार ही छीन लिया है। बीते 2 से 3 माह होने को है। अन लॉक में सरकार ने प्राय: सभी लोगों को राहत दी है पर इन नाविकों की ओर ना ही स्थानीय नेताओं का ध्यान है और ना ही जिला प्रशासन का। ऐसे में यह नाविक दो वक्त की रोटी के लिए भी जूझ रहे हैं।
नाविकों ने सरकार से की अपील
मां नर्मदा के तटों में कई सालों से नाव चला कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले नाविकों ने सरकार से गुहार लगाई है कि इस लॉक डाउन में उनकी मदद की जाए। क्योंकि 2 से 3 माह होने को है पर अभी तक सरकार ने नाविकों पर ध्यान नहीं दिया है। अब ऐसे में आलम यह है कि अगर जल्दी नाव चलाने की जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी तो नाविकों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।