Jabalpur: जबलपुर कलेक्टर ने 30 करोड़ रुपए का धान घोटाला पकड़ा है। दरअसल, इस घोटाले को सुनियोजित ढंग से सहकारी समितियों, नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी कर्मचारी और राइस मिल संचालकों के द्वारा अंजाम दिया जा रहा था। कलेक्टर ने इसकी जानकारी मिलने पर सूक्ष्मता से जांच कराई और अब 74 लोगों के खिलाफ विभिन्न स्थानों में मामला दर्ज कराया गया है।
कलेक्टर जबलपुर दीपक सक्सेना को सूचना मिली थी कि जबलपुर जिले में सहकारी समितियां के द्वारा खरीदी गई धान को बाहर राइस मिलर संचालकों को देने की बजाय स्थानीय स्तर पर दलालों को बेचा जा रहा है। जानकारी मिलने पर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने चार सदस्यों की एक समिति बनाई जिसमें नाथूराम गोंड अपर कलेक्टर, ऋषभ जैन संयुक्त कलेक्टर, शिवाली सिंह संयुक्त कलेक्टर और संजय खरे सहायक आपूर्ति अधिकारी शामिल थे।

जांच में हुआ बड़ा खुलासा
इस समिति के द्वारा 2510 पेज की विस्तृत जांच रिपोर्ट कलेक्टर को 19 मार्च को पेश की गई। इस रिपोर्ट में पाया गया कि सहकारी समितियां के द्वारा जो धान बाहर जिलों के राइस मिलर को बेचा जाना बताया गया था उसे रूट पर पड़ने वाले टोल नाकों से परिवहन करने वाले वाहन गुजरे ही नहीं। ना तो राइस मिलर और ना ही सहकारी समितियां के लोग संबंधित वाहनों की जानकारी दे पाए। यह भी पाया गया कि जिन वाहनों से धान का परिवहन होना बताया गया उनमें आधा सैकड़ा से ज्यादा कारें शामिल थी।
13,000 मीट्रिक टन धान का हेरफेर
इसके अलावा कई ऐसे वाहन थे जो उस समय मध्य प्रदेश की बजाय देश के किसी अन्य हिस्से में परिवहन कर रहे थे। ऐसी फर्जी ट्रिप के आधार पर फर्जी रूप से धान भेजे जाने की मात्रा लगभग 13000 मीट्रिक टन यानी 30 करोड़ रुपए की पाई गई। कुल 307 ऐसे वाहन भी पाए गए जो या तो कार थे या फिर ऐसे जिनकी लोडिंग क्षमता बहुत कम थी। कुल 571 वाहनों का रिकॉर्ड ही प्राप्त नहीं हुआ।
जबलपुर में 30 करोड़ का धान घोटाला, कलेक्टर ने 74 लोगों पर FIR कराई
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— MP Breaking News (@mpbreakingnews) March 20, 2025
74 लोगों पर मामला दर्ज
इस पूरे मामले में कलेक्टर द्वारा मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कारपोरेशन के प्रभारी जिला प्रबंधक सहित 13 कर्मचारी, 17 राइस मिलर संचालक, 25 सोसाइटी उपार्जन केंद्र के 44 कर्मचारी यानी कुल 74 व्यक्तियों के खिलाफ विभिन्न 12 थानों में 12 अपराधिक प्रकरण दर्ज कराए गए हैं। मध्य प्रदेश सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन के समस्त दोषी अधिकारी कर्मचारियों के लिए विभागीय कार्रवाई हेतु भी सम्बधित को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।कलेक्टर की इस कार्रवाई से पूरे जिले में तो हड़कंप है ही अब इस बात की भी आशंका है कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी कहीं इसी तरह का गठजोड़ तो नहीं चल रहा और यदि ऐसा है तो फिर धान का घोटाला अरबो रुपए तक पहुंच सकता है।