जबलपुर, मध्यप्रदेश के जंगल लंबे समय से वन्य जीव संरक्षण के लिए चर्चित रहे हैं। लेकिन इसी क्षेत्र में एक इंटरनेशनल बाघ शिकार गैंग सक्रिय था, जिसने सालों से बाघों का वध कर उनकी खाल और हड्डियों को नॉर्थ ईस्ट और म्यांमार होते हुए चीन में बेचा।
28 फरवरी और 10 मार्च को मध्यप्रदेश टाइगर स्ट्राइक फोर्स और महाराष्ट्र फॉरेस्ट टीम की संयुक्त कार्रवाई में गैंग के दो प्रमुख सदस्य लालनेसांग और जामखानकाप को गिरफ्तार किया गया। जबलपुर की निचली अदालत में पेश होने के बाद हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

हाईकोर्ट का कड़ा रुख जमानत नहीं होगी
हाईकोर्ट जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की सिंगल बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह अत्यंत गंभीर अपराध है। इन शिकारियों ने पिछले सात सालों में लगातार जंगल के कोर एरिया में बाघों का शिकार किया और स्थानीय लोगों की मदद से अवैध व्यापार किया।
गवर्नमेंट एडवोकेट ऋतिक पाराशर ने बताया कि लालनेसांग ने खुद को भारतीय सेवा का पूर्व कर्मचारी बताया था, लेकिन उसने और उसके साथी ने 2016 से अब तक 40 से अधिक बाघों का शिकार कर अवैध व्यापार किया।
बाघ शिकार गैंग की संरचना और कारोबार
शिकार गैंग का काम सिर्फ शिकार तक सीमित नहीं था। इनके द्वारा शिकार किए गए बाघों के दांत, नाखून और हड्डियां नॉर्थ ईस्ट के रास्ते म्यांमार से होते हुए चीन में भेजे जाते थे। हवाला और स्थानीय लोगों की मदद से यह कारोबार चलता रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का अवैध वन्य जीव व्यापार न केवल वन्य जीवन को खतरे में डालता है, बल्कि स्थानीय जैविक संतुलन को भी प्रभावित करता है।
मध्यप्रदेश टाइगर स्ट्राइक फोर्स की कार्रवाई
मध्यप्रदेश टाइगर स्ट्राइक फोर्स और महाराष्ट्र फॉरेस्ट टीम ने मिलकर कई महीने तक निगरानी और छापेमारी की। इस कार्रवाई में गैंग के दो प्रमुख सदस्य पकड़े गए। इनके गिरफ्तारी से यह संदेश गया कि वन्य जीव संरक्षण के लिए राज्य और केंद्र सरकार गंभीर हैं। हाईकोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया कि शिकार गैंग के सदस्यों को जमानत देने से वन्य जीव और सुरक्षा कानूनों की अवहेलना बढ़ सकती है।
स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
यह मामला केवल स्थानीय जंगलों तक सीमित नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध वन्य जीव व्यापार के लिए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के जंगल सुर्खियों में आए हैं। यदि ऐसे अपराधियों को जमानत मिलती, तो यह अन्य शिकारियों के लिए खुले आम संदेश होता।
विशेषज्ञों के अनुसार, बाघ संरक्षण के लिए कठोर कानून और उनकी क्रियान्वयन क्षमता में सुधार जरूरी है। इससे न केवल वन्य जीवन सुरक्षित रहेगा बल्कि देश की पर्यावरणीय छवि भी मजबूत होगी।
जबलपुर, संदीप कुमार










