MP OBC Reservation : 27% ओबीसी आरक्षण का मामला, हाई कोर्ट में 63 प्रकरणों की सुनवाई आज, जानें अपडेट

Kashish Trivedi
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जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High court) में आज एक बार फिर से ओबीसी आरक्षण (MP OBC Reservation) मामले की सुनवाई होगी। दरअसल अन्य पिछड़े वर्ग द्वारा ओबीसी आरक्षण (27% OBC Reservation) को 14 साल से बढ़ाकर 27 फीसद किए जाने की मांग की जा रही है। जिस पर सुनवाई जारी जारी है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने अपने 27% ओबीसी आरक्षण पर रोक के आदेश को बरकरार रखा था। इससे पहले ओबीसी आरक्षण से संबंधित सभी प्रकरण को शीघ्रता से सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 22 मार्च को आदेश पारित किया गया था।

जिसके साथ ही हाईकोर्ट द्वारा 1 अगस्त को day-to-day दोपहर 3:30 बजे से सुनवाई करने का आदेश दिया गया था। वही आज 16 अगस्त को जस्टिस शील नागू और जस्टिस DD बंसल की युगल पीठ द्वारा एक बार फिर से ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई की जाएगी। इससे पहले राज्य शासन द्वारा हाईकोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग का पक्ष रखने के लिए नियुक्त विशेष वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद साह ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च को आदेश पारित किया।

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जिसके बाद 25 जुलाई को हाईकोर्ट ने इस के परिपालन में ओबीसी आरक्षण संबंधित सभी मामले की 1 अगस्त से दिन प्रतिदिन सुनवाई दोपहर 3:30 बजे किए जाने की व्यवस्था की थी। 1 अगस्त को युगल पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई निर्धारित थी लेकिन हाईकोर्ट में अवकाश होने की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी। वही हाई कोर्ट ने सभी पक्षों की सहमति से 16 अगस्त को सुनवाई किए जाने का निर्णय सुनाया था।

इससे पहले हाईकोर्ट ने पूर्व के आदेश के अनुसार से 27% ओबीसी आरक्षण पर रोक संबंधी अंतरिम आदेश को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश अनुसार किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। वहीं यदि मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 और ईडब्ल्यूएस को 10% आरक्षण का लाभ मिलते हैं तो कुल आरक्षण मिलाकर 73 प्रतिशत हो जाएंगे।

ओबीसी और सामान उम्मीदवारों के आरक्षण से संबंधित हाईकोर्ट में 63 याचिकाएं विचाराधीन है। जिसमें एमपीपीएससी परीक्षा सहित शिक्षक भर्ती, एडीपीओ और सांख्यिकी अधिकारी की नियुक्ति में भी कोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत ओबीसी को 14% आरक्षण देने को कहा है। ऐसी स्थिति में ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, जब युवाओं का भविष्य अधर में अटका हुआ है।


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