भोपाल गैस त्रासदी : अदालत की अवमानना मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई आज, कोर्ट ने 9 अधिकारियों को माना था दोषी

High Court

Bhopal Gas Tragedy : भोपाल गैस त्रासदी मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में कुछ ही देर बाद सुनवाई होगी। जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच के समक्ष मामले की सुनवाई होगी। बता दें कि एसीएस मोहम्मद सुलेमान, पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के दो अधिकारियों सहित 9 अधिकारियों को अदालत ने पिछली सुनवाई में अवमानना का दोषी माना था।

कुछ ही देर में होगा फैसला

अब इन अधिकारियों को सजा मिलेगी या राहत, यह कुछ देर बाद ही पता चल जाएगा। दरअसल भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के मामले को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 16 जनवरी को सुनवाई होनी थी लेकिन पूर्ण बेंच ना होने के कारण सुनवाई आज यानी बुधवार 17 जनवरी को हो रही है। पीड़ितों की ओर से अधिवक्ता राजेश चांद हाई कोर्ट में पक्ष रखेंगे। वहीं इस मामले में सीनियर अधिवक्ता नमन नगर को कोर्ट मित्र नियुक्त किया गया है। मध्य प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के दो अधिकारियों सहित कुल 9 अधिकारी अवमानना के आरोप में घिरे हुए हैं।

ये है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की याचिका पर सुनवाई की थी। गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश दिए थे। इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे। इस कमेटी को हर तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के सामने पेश करने को कहा था। साथ ही रिपोर्ट के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाने थे।

इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की। इसके बाद मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं पर कोई काम नहीं होने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की गई थी। अवमानना याचिका में कहा गया कि गैस पीड़ितों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं। अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। बीएमएचआरसी के भर्ती नियम तय नहीं होने से डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर सेवाएं प्रदान नहीं कर रहे हैं। इस कारण पीड़ितों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट की युगल पीठ ने कहा था कि कम्प्यूटीकरण और डिजिटलीकरण की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की थी। प्रक्रिया पूरी करने की जिम्मेदारी अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलमान की थी। अब आज सबकी नज़रें इस मामले पर हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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