जबलपुर/संदीप कुमार
कोरोना वायरस के कारण लगे लॉक डाउन ने आर्थिक व्यवस्था के साथ-साथ पारिवारिक हालात को भी बिगाड़कर रख दिया है। बेरोजगारी बढ़ रही है और ऐसे समय में पति घर पर रहता है तो कुछ दिन तो ठीक है पर समय बीतने के साथ घर पर विवाद शुरू होने लगे हैं। इन दिनों परिवारों में कलह की स्थिति बढ़ रही है, हाल ही में पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में आए केस भी बता रहे है लॉक डाउन में पीड़ित पतियों की शिकायत में इज़ाफ़ा हुआ है।
लॉकडाउन में पति-पत्नी के लगातार साथ रहने पर बढ़ा विवाद
भले ही कोरोना वायरस ने लोगों को अपने परिवार के साथ समय बिताने का भरपूर मौका दिया हो। लेकिन लॉकडाउन के दौरान पति पत्नी के बीच घरेलू विवाद भी रिकॉर्ड रूप से बड़े हुए हैं। जबलपुर की बात करें तो यहां पर कोरोना संकट से निपटने के लिए बार-बार लगाया जा रहा लॉकडाउन खासकर पुरुषों पर भारी पड़ रहा है। जबलपुर पुलिस के परिवार परामर्श केंद्र के आंकड़े भी कुछ यही बता रहे हैं। एसपी ऑफिस में स्थित परिवार परामर्श केंद्र में घरेलू विवाद की जो शिकायतें सामने आई है उनमें सबसे ज्यादा शिकायतें पुरुषों को मिली घरेलू प्रताड़ना की है। इनमें पुरुषों ने अपनी पत्नियों पर मारपीट और पैसे ना होने पर मानसिक प्रताड़ित करने जैसे आरोप लगाए हैं।
आंकड़े के मुताबिक कुछ इस तरह है वास्तविक स्थिति
पुलिस परामर्श केंद्र से मिले आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन खुलने के 15 दिनों में जबलपुर के पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में घरेलू हिंसा की करीब 250 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जो कि अब तक के रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा है। हर साल जबलपुर में करीब 750 आत्म हत्याएं होती हैं लेकिन इस साल करीब 7 माह में ही आत्महत्याओं के मामले 800 से ज्यादा दर्ज किए गए हैं, जिनमें की पुरुषों की संख्या ज्यादा है।
पुलिस के परिवार परामर्श केंद्र प्रभारी अंशुमन शुक्ला के मुताबिक वह घरेलू विवाद और हिंसा के मामले में पति पत्नी का मिल जुलकर रहने की समझाइश देते हैं, लेकिन लॉकडाउन का ये अरसा घर में रहने वाले पुरुषों पर ज्यादा भारी पड़ रहा है। इधर कानूनी प्रक्रिया के तहत जब मामला कोर्ट पहुंचता है तो संबंधित वकील भी पति पत्नियों के विवाद को समझाने की भरसक कोशिश करते हैं। यही वजह है कि शुरुआती दौर में पति पत्नी के विवाद को पुलिस परामर्श केंद्र के अधिकारियों के साथ अधिवक्ता भी सुलझाना चाहते हैं, पर जब यह मामला समझ से परे हो जाता है तो बाद में इसे कोर्ट की शरण में जाना ही पड़ता है।
पुरुष प्रताड़ना को लेकर अक्सर रिपोर्ट तक नहीं होती दर्ज
देश में अधिकांश कानून बनाए गए हैं वह केवल पत्नी और बहू नाम की महिलाओं के लिए ही है यदि कोई पुरुष प्रताड़ना की शिकायत लेकर थाने या कानूनी मदद मांगने जाता है तो उसकी रिपोर्ट तो अक्सर लिखी भी नहीं जाती है। यह वह आंकड़े हैं जो कि बताते हैं कि वाकई में पत्नियों की प्रताड़ना से पति भी अछूते नहीं।