Jabalpur News : हाई कोर्ट में दिखने लगा तीसरी लहर का असर, 153 दिनों के बाद तीसरी बार बन्द हुई कोर्ट

Gaurav Sharma
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mp HIGH COURT

जबलपुर, संदीप कुमार। कोरोना की तीसरी लहर का असर एक बार फिर न्यायिक संस्थानों पर दिखने लगा है। जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक बार फिर से भौतिक सुनवाई बंद हो गई है। आदेश के अनुसार आने वाले कुछ समय तक सभी केसों की सुनवाई होगी अब वर्चुअल मोड में होगी। बीते 2 साल के दौरान यह तीसरा मौका है जब हाईकोर्ट की भौतिक सुनवाई को बंद किया गया है।

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बता दें, हाईकोर्ट व जिला अदालतों में कोरोना के चलते भौतिक सुनवाई 17 मार्च 2020 से बंद कर दी गई थी, जिसके बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की व्यवस्था की गई थी। कोरोना संक्रमण का प्रकोप कुछ कम हुआ तो हाईकोर्ट में सीमित रूप से भौतिक सुनवाई का प्रयोग शुरू किया गया, भौतिक के साथ-साथ ऑनलाइन फाइलिंग की व्यवस्था भी गई और हाईकोर्ट के मुख्य पीठ जबलपुर के साथ इंदौर व ग्वालियर खंडपीठ में पूरे 335 दिन बाद 15 फरवरी 2021 से भौतिक सुनवाई पुनः आरंभ की गई। इस बार की प्रणाली में कई तरह के बदलाव भी नजर आए। 11 माह तक हाईकोर्ट में भौतिक सुनवाई बंद रहने के बाद जैसे तैसे एक बार पुनः सुनवाई आरंभ हुई, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते महज 52 दिनों बाद ही 7 अप्रैल को भौतिक सुनवाई एक बार पुनः बंद करनी पड़ी।

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पूरे 120 दिन बाद 9 अगस्त 2021 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के परिसर में पुरानी रौनक लौट आई और हाईकोर्ट की तीनों बैंचों में भौतिक सुनवाई शुरू हो गई। लेकिन सावधानी बरतते हुए इस दौरान केवल उन्हीं वकीलों को कोर्ट रूम के अंदर प्रवेश दिया गया जिनके मामलों में सुनवाई होनी थी। अगस्त माह से कोर्ट लगातार भौतिक सुनवाई करती रही लेकिन नए साल में 153 दिन बाद कोरोना के चलते एक बार फिर भौतिक सुनवाई बंद कर कोर्ट को वर्चुअल मोड में आना पड़ा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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