जबलपुर।संदीप कुमार
बीते 10 सालों से निकाली जा रही है शिव कवाड यात्रा को इस साल विराम दिया गया है वजह है कोरोना वायरस और सोशल डिस्टेन्स। जबलपुर के नर्मदा तट ग्वारीघाट से शुरू होकर कैलाशधाम जाने वाली 35 किमी लम्बी कांवड़ यात्रा को इस बार निकालने की जिला प्रशासन ने अनुमति नही दी है।
कोरोना वायरस है मूल यात्रा रद्द करने की वजह। जबलपुर में लगातार कोरोना वायरस संक्रमण के केस लड़ रहे हैं ऐसे में आने वाले समय में होने वाली कवाड यात्रा से कही न कही संक्रमण फैल सकता है। लिहाजा इस साल कांवड़ यात्रा निकालने के लिए जिला प्रशासन ने मंजूरी नही दी है जिसको को आयोजको ने स्वीकार कर लिया है।
लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है कवाड यात्रा का नाम
जबलपुर के ग्वारीघाट तट से शुरू होने वाली यात्रा खमरिया कैलाश धाम में जाकर समाप्त होती है इस यात्रा में हजारों लोग शामिल होते हैं। यात्रा को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है।ग्वारीघाट से शुरू होकर कैलाश धाम में समाप्त होने वाली इस यात्रा का जगह-जगह स्थानीय लोग स्वागत भी करते हैं। इतना ही नहीं जिला प्रशासन और पुलिस विभाग भी इस यात्रा का स्वागत करने के लिए सड़कों पर उतर आते है पर इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने कावड़ यात्रा को ना निकालने की आयोजकों से अपील की थी जिसे की आयोजकों ने स्वीकार कर लिया है।
दस साल पहले कांवड़ यात्रा का शुभारंभ उमाघाट पर धर्मसभा से हुआ था
संतों ने कांवडियों को शिव को मनाने व नर्मदा को बचाने का संदेश दिया। संकल्प कराया था कि हर भक्त नर्मदा किनारे एक पौधा अवश्य रोपेंगा। लगभग 35 किमी लम्बी कांवड़ यात्रा मेंं शिव भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था।
यात्रा में लगते थे सैंकड़ों स्वागत मंच
कांवडियों के स्वागत के लिए ग्वारीघाट से कैलाशधाम तक दो सौ से ज्यादा स्वागत मंच लगाए जाते थे। यात्रा का समापन कैलाश धाम में भगवान के जलाभिषेक से हर साल होता था।जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहता था। करीब 1500 वॉलेंटियरों के सुरक्षा घेरा में यह यात्रा निकलती थी।