Jabalpur : करंट लगने से हुई थी हाथी की मौत, जंगली सूअर मारने बिछाए थे तार

Pooja Khodani
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Road Accident In Dewas

जबलपुर, संदीप कुमार। उड़ीसा (Orissa) से छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) होते हुए जबलपुर (Jabalpur) पहुंचे दो हाथियों में एक की मौत हो गई। हाथी (Elephant) की मौत करंट से होना बताया जा रहा है। मामले में वन विभाग (Forest Department) की टीम ने अभी दो शिकारियों को गिरफ्तार किया है जबकि अन्य की तलाश की जा रही है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि जंगली सुअर का शिकार करने के लिए खेत में बिजली के तार बिछाए थे। करंट से जंगली सुअर तो नहीं मरे अलबत्ता गजराज जरूर फंस कर मौत के गाल में समा गया और उसकी दर्दनाक मौत हो गई।

सूंड में लगे करंट के चलते वह मुंह के बल गिरा
जानकारी के मुताबिक हाथी की करंट से हुई मौत मामले में टीम ने रात मेें ही डुंगरिया मोहास निवासी पंचम आदिवासी और मुकेश पटेल को गिरफ्तार (Arrest) किया है। दोनों ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वे जंगली सुअर का शिकार करने के लिए बिजली के तार बिछाए थे। उन्हें नहीं पता था कि इसमें गजराज फंस जाएंगे।

डेढ़ फीट के लगभग करंट से झुलसा था
जंगली हाथी का पीएम के बाद जांच में पता चला कि उसकी सूंड में करंट लगा था।करंट लगने के बाद हाथी लगभग 200 मीटर जाकर आगे आकर गिरा था। उस समय दोनों ही हाथी साथ-साथ चल रहे थे। ऐसे में आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं दूसरा हाथी भी करंट की चपेट में न आया हो। 36 घंटे से उसका न मिलना भी कई आशंकाओं की ओर इशारा कर रहा है।

सागर में होगा अब बिसरा की जांच
स्कूल आफ वाइल्ड लाइफ फारेंसिक लैब जबलपुर में हाथी की मौत को लेकर कई तरह के रिसर्च होंगे, वहीं उसका बिसरा जांच सागर लैब को भेजा जाएगा। इससे पता चलेगा कि मौत की वजह सिर्फ करंट ही था या इसके साथ कोई जहरीला पदार्थ तो नहीं खिलाया गा था।

दूसरे हाथी को तलाश करने में जुटी कान्हा और पेंच की टीम
दूसरे हाथी के 36 घंटे से गायब होने के बाद से वन विभाग सख्ते में है। आस-पास के कई गांवों में हाथी की जानकारी ली गई।वन विभाग ने 10-10 लोगों की कुल 10 टीमें बनाई गई है। सभी लोग जंगल की सर्चिंग कर रहे हैं। मुश्किल ये हो रहा है कि हाथी के फुट प्रिंट भी वन विभाग को नहीं मिल पा रहा है।

सिवनी से जबलपुर के बीच है घना जंगल
हाथी को तलाश करने के लिए वन विभाग ने ड्रोन सहित डॉग स्क्वॉड की भी मदद ली है।जानकारी के मुताबिक लापता हाथी की तलाश की जा रही है। वहीं करंट बिछाने वाले आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के बाद विस्तृत खुलासा हो सकेगा।

ये था पूरा घटनाक्रम
ओडिशा के जंगल से भटक कर अप्रैल में 20 हाथियों का झुंड कान्हा में आया था। यहां से सिवनी के रास्ते ये हाथी निकल कर मंडला के जंगल में सितंबर में पहुंचे थे। दो महीने तक वहीं रहे। इसके बाद दो हाथी जहाँ जबलपुर की ओर निकल आए। जबकि अन्य हाथी वापस उड़ीसा की तरफ लौट गए। पांच दिन पहले दोनों हाथियों ने जबलपुर के बरेला में प्रवेश किए थे। बुधवार को बरगी और गुरुवार को मंगेली में दिखे थे। शुक्रवार को एक हाथी का शव मोहास में नहर किनारे मिला था। जबकि हाथी का पता नहीं चल रहा।


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