आबकारी आयुक्त के निर्देशों की जमकर उड़ी धज्जियां, जबलपुर कलेक्टर की कार्रवाई ने खोली आदेश की पोल

उल्लेखनीय है कि आबकारी आयुक्त ने उपायुक्तों और सहायक आयुक्तों को निर्देश दिए थे कि विभाग के संज्ञान में आया है कि फुटकर विक्रेताओं द्वारा निर्धारित मूल्यों से भी अधिक मूल्यों पर शराब बेची जा रही है बावजूद इसके जिले के अधिकारियों ने इस आदेश को रद्दी में डाल दिया ।

आबकारी आयुक्त के स्पष्ट निर्देश है कि शराब की बिक्री में ओवर रेटिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी, प्रदेश की शराब नीति के नियमों का पालन किया जायेगा, जिम्मेदार अधिकारियों आबकारी उपायुक्तों और सहायक आबकारी आयुक्तों को इसकी निगरानी के निर्देश दिए गए हैं लेकिन कैसे शराब ठेकेदारों और अफसरों की मिलीभगत चलती है इसका खुलासा जबलपुर कलेक्टर की कार्रवाई के बाद सामने आ गया है।

जबलपुर में शराब की बिक्री में अनियमितता की बातें कई बार सामने आई, शिकायतें भी अलग अलग माध्यमों से आबकारी विभाग तक पहुंची कि ग्राहकों से निर्धारित एमआरपी से ज्यादा वसूली की जा रही है, दुकानों पर कहीं रेट लिस्ट नहीं है बिल नहीं दिया जाता, लेकिन अफसरों ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया।

जिला प्रशासन ने चलाया गोपनीय ऑपरेशन

शिकायतें कलेक्टर दीपक सक्सेना तक भी पहुंची तो उन्होंने इसकी सच्चाई जानने के लिए प्लानिंग की और एक गोपनीय ऑपरेशन तैयार किया। दुकानों की असलियत और ग्राहकों के साथ हो रही ठगी को उजागर करने की जिम्मेदारी कलेक्टर ने पटवारियों को सौंपी, निर्देश दिए गए कि गोपनीयता बनी रहना चाहिए। कलेक्टर ने अलग अलग अनुभागों में पदस्थ पटवारियों को शराब दुकानों पर जाकर अलग अलग ब्रांड की शराब खरीदने के निर्देश दिए और  ऑनलाइन पेमेंट करने यानि सबूत रखने के निर्देश दिए ।

MRP से ज्यादा कीमत की वसूली

कलेक्टर के आदेश के बाद पटवारियों ने दुकानों पर जाकर शराब खरीदी और उसके सबूत अपने पास रखे और फिर  जांच के बाद जो तथ्य सामने आए, उसे देखकर सभी चौंक गए। कुछ दुकानदारों में शराब की बोतल लिखी एमआरपी से बहुत ज्यादा वसूली की मसलन 200 रुपए एमआरपी की बोतल के लिए 220 से 260  रुपए तक की राशि ली गई। इस तरह एक ही दिन में हजारों से लाखों रुपए का अवैध मुनाफा कमाने का गोरखधंधा सामने आया। मतलब स्पष्ट था कि दुकानदार आबकारी आयुक्त के निर्देशों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ा रहे थे और जिले के आबकारी अधिकारी चुपचाप सब देख रहे थे।

दुकानों पर नहीं रेट लिस्ट, ग्राहकों को बिल भी नहीं 

प्रशासन की जाँच में यह बात भी सामने आई कि अधिकांश दुकानों में न तो शराब की रेट लिस्ट लगाई गई है और न ही ग्राहक को कोई बिल दिया गया। नतीजा ये कि ग्राहक को यह भी पता नहीं होता कि वह जो बोतल खरीद रहा है, उसकी असली कीमत क्या है? जानकारी के मुताबिक पटवारियों की जाँच में जिन दुकानों में नियमों का गंभीर उल्लंघन पाया गया है, उनकी रिपोर्ट अब शासन को भेजी जाएगी। देखना होगा शासन संबंधित दुकानों के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है?

 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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