संदीप कुमार।जबलपुर।
वर्तमान में मध्यप्रदेश के अंदर कुछ भी ठीक नही चल रहा है।कांग्रेस जहाँ अपनी सरकार बचाने में जुटी हुई है तो वही विपक्ष फ्लोर टेस्ट के लिए अड़ी रही।इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष ने कोरोना वायरस का हवाला देते हुए विधानसभा स्थगित भी कर दी।अब जबकि भाजपा सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा रही है तो कानून के जानकर भी इस पूरे मामले में प्रदेश सरकार को राज्यपाल के आदेश की अवहेलना करना बता रहे है।
पूर्व महाधिवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता रविनंदन सिंह का इस पूरे मामले में कहना है कि वर्तमान में ऐसी स्थिति में गवर्नर को यह पावर है कि विधानसभा सेशन बुलाएं उसमें अपना उद्बोधन करें और सरकार की गतिविधियों का जिक्र करें। संविधान की धारा आर्टिकल 175″2″ में इस तरह के अधिकार राज्यपाल को दिए गए है उस व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए अधिकार का उपयोग करते हुए फ्लोर टेस्ट करने के लिए कहे।
भाजपा के सुप्रीम कोर्ट जाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता रविनंदन सिंह का कहना था फ्लोर टेस्ट के अलावा दूसरा कोई तरीका है ही नही। ऐसे में अब जबकि भाजपा सुप्रीम कोर्ट गई है तो वहाँ से भी तुरंत फ्लोर टेस्ट के निर्देश दिए जाएंगे।उन्होंने यह भी कहा कि जब राज्यपाल ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए फ्लोर टेस्ट के लिए कहा तो सरकार ने उनकी बात न मानकर आदेश की अवहेलना की है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन लागू करते हुए सरकार को तुरंत ही बर्खास्त भी करना चाहिए।उन्होंने कहाँ अगर ऐसे होता है तो जनता के ऊपर फिर से भार पड़ेगा और मध्यवर्ती चुनाव होंगे।अंत मे उन्होंने यह भी कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निगाहें टिकी हुई है।