Mon, Dec 29, 2025

पूर्व सांसद कंकर मुंजारे को सेशन कोर्ट से मिली जमानत, जानें क्या है मामला

Written by:Amit Sengar
Published:
30 दिसंबर को जबलपुर स्थित एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट के समक्ष पेश किया था। विशेष कोर्ट ने उनकी जमानत की अर्जी खारिज करते हुए न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश जारी किये थे।
पूर्व सांसद कंकर मुंजारे को सेशन कोर्ट से मिली जमानत, जानें क्या है मामला

Jabalpur News : धान खरीदी के दौरान कर्मचारियों से मारपीट करने के मामले में जेल में बंद बालाघाट से पूर्व सांसद कंकर मुंजारे को सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई है। करीब 12 दिन बाद जेल से बाहर निकले पूर्व सांसद ने अपने ऊपर लगे आरोप को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि धान खरीदी के दौरान हुए विवाद के समय जो भी आरोप लगाए गए वह झूठे थे, पुलिस ने फर्जी धाराओं के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया और फिर जेल भेजा। पूर्व सांसद ने कहा जेल से छूटने के बाद भी किसानों के हित में हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।

दरअसल 27 दिसंबर 2024 को लालबर्रा तहसील के धान खरीदी केंद्र धपेरा मोहगांव में उनके द्वारा धान खरीदी केंद्र प्रभारी और कंप्यूटर ऑपरेटर से मारपीट करते हुए खरीदी कार्य में व्यवधान डाला था। घटना के संबंध में लालबर्रा थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने पूर्व सांसद कंकर मुंजारे सहित चार अन्य लोगों के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने, कर्मचारियों के साथ मारपीट करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया थी।

30 दिसंबर को एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट के समक्ष किया गया था पेश

मारपीट पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हुआ था। बालाघाट पुलिस ने पूर्व सांसद कंकर मुंजारे, सहजवाल उपवंशी, रामलाल नागपुरे और दीपेश रनगिरे को गिरफ्तार करने के बाद 30 दिसंबर को जबलपुर स्थित एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट के समक्ष पेश किया था। विशेष कोर्ट ने उनकी जमानत की अर्जी खारिज करते हुए न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश जारी किये थे।

शासकीय कार्य में नहीं डाली थी बाधा

पूर्व सांसद कंकर मुंजारे की ओर से एडवोकेट प्रियाल रंहगडाले ने कोर्ट को सुनवाई के दौरान बताया कि बालाघाट पुलिस ने जितनी भी धाराएं लगाई थी, वह सभी जमानती थी, सिर्फ दो धाराओं को छोड़कर, उसमें भी कोर्ट को यह बताया गया कि कंकर मुंजारे ने शासकीय कार्य में बाधा नहीं डाली थी, इसके साथ ही उन पर यह भी आरोप थे कि इनका क्रिमिनल बैकग्राउंड है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को आधार बनाकर कोर्ट को बताया गया था, जिसकी दलील सुनने के बाद जमानत दे दी।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट