जबलपुर, संदीप कुमार। Happy Valentine Day 2022: फरवरी का महीना प्यार का होता है और आज 14 फरवरी 2022 Valentine Day है, ऐसे में आज के दिन प्रेमी जोड़े अलग अलग अंदाज में अपने प्यार का इजहार कर इस दिन को अपने अपने अंदाज में सेलिब्रेट करते है। खास करके युवाओं में वैलेंटाइन डे को लेकर एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। इसी कड़ी में MP BREAKING NEWS आपके लिए एमपी के एक आईपीएस (MP IPS) की मजेदार लव स्टोरी लेकर आया है, जिसमें दोस्तों की शरारत से लेकर प्यार के इजहार तक के किस्से शामिल है।
हम बात कर रहे है 2009 के आईपीएस अमित सिंह की।अपने हंसमुख स्वभाव के लिए जबलपुर की जनता के दिल में अपनी छाप छोड़ने वाले आईपीएस अमित सिंह (IPS Amit Singh) वर्तमान मे बतौर एसएसपी रेडियो विभाग (ASP Radio Department) में पदस्थ है। आईपीएस अमित सिंह कभी जबलपुर एसपी हुआ करते थे, आज वह एसएसपी रेडियो है। 2009 बैच के आईपीएस अमित सिंह का जुड़ाव जबलपुर (Jabalpur) से हमेशा से बना रहा है। आईपीएस अमित सिंह की पत्नी प्रज्ञा है, दोनों ने न केवल अपनी लव स्टोरी को आपसी समझ और सूझबूझ से अरेंज मैरिज तक पहुंचाया बल्कि जीवन के कई उतार-चढ़ाव देखने के बावजूद इस सफर में मजबूती से एक-दूसरे के पूरक बने है।
अमित बताते है कि दोस्तों की एक छोटी सी शरारत ने हम दोनों को सात जन्मों के रिश्तों में बांध दिया। शादी के 11 वर्ष बीत चुके है। एक दूसरे की प्रेरणा बन चुकी दंपत्ति दो बेटों के अभिभावक बन चुके है। वर्ष 2006 में मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से मध्यकालीन इतिहास में सीनियर रिसर्च फेलोशिप कर रहा था। इसी विषय में एम.ए कर रही बलिया की प्रज्ञा सिंह से मेरी बातचीत होती थी, हम एक-दूसरे को पंसद करने लगे थे, लेकिन पहल नहीं कर पा रहे थे, कुछ समय बाद ही मैं यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली चला गया।
अमित सिंह बताते है कि मोबाईल में प्रज्ञा का नंबर था साथ में तैयारी कर रहे दोस्त मनोज सिंह (वर्तमान में आरपीएफ में चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर) ने रात में चुपके से मेरे मोबाईल से प्रज्ञा को प्यार का इजहार भरा मैसेज भेजा और उसको डिलीट कर दिया। रात करीब 2 बजे एक कॉल आया जो किसी युवती का था। उसने दोस्ती की पेशकश की मगर मैंने मना कर दिया। यह मेरी परीक्षा थी अगले दिन प्रज्ञा का फोन आया और मैंने इजहार-ए-मोहब्बत बयां कर अपने दिल की बात साझा कर दी।
अमित बताते है कि 4 मई 2009 को यूपीएससी का रिजल्ट आया तो घर में शादी के रिश्ते आने लगे,बड़ी मुश्किल से बहन रत्ना सिंह और पिता रमेश प्रताप सिंह को अपनी पंसद के बारे में बताया। मां और भाई पहले तैयार नहीं हुए, लेकिन बाद में उन्होंने भी हामी भर दी। ससुर गंभीर बीमारी के कारण बिस्तर पर थे,20 जून को आनन-फानन में हमारी सगाई हुई इसके 25 दिन बाद ससुर का निधन हो गया। फिर मैं ट्रैनिंग पर चला गया। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 12 मार्च 2011 को हम दोनों शादी के बंधन में बन गए।
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
खबरों के छपने का आधार भी हूँ।।
मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ।
इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।।
दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ।
झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)