हाई स्कूल शिक्षक भर्ती नियमों में संशोधन के लिए एमपी हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दी 3 हफ़्तों की मोहलत, भर्ती पर लगाई रोक

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के अनुरोध को मानते हुए नियमों में संशोधन के लिए 3 हफ़्तों की मोहलत दे दी लेकिन तब तक बचे हुए पदों पर भर्ती पर रोक लगा दी।

Atul Saxena
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Jabalpur News : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में आज हाई स्कूल शिक्षक भर्ती पर सुनवाई हुई, जिसमें सरकार की तरफ से जवाब पेश किया गया सरकार ने बताया कि हमने भर्ती नियमों में संशोधन करने हाई लेवल कमेटी का गठन कर लिया है हमें थोडा समय चाहिए, सरकार के अनुरोध पर हाई कोर्ट ने तीन हफ्ते का समय दे दिया।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबल्पुए बेंच में आज एमपी हाई स्कूल शिक्षक भर्ती नियम संशोधन मामले पर सुनवाई हुई, शिक्षक भर्ती में सेकण्ड डिविजन को लेकर विरोधाभास था, कुछ अभ्यर्थियों ने याचिका लगाकर भर्तियों पर सवाल उठाये थे, याचिका में कहा गया कि 17 हजार से अधिक पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। लेकिन केवल 12 हजार पदों पर ही नियुक्तियां की गईं हैं। शेष पांच हजार पद अभी भी रिक्त हैं।

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ये है विरोधाभास का कारण 

इस मामले में डीपीआई ने कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर बताया था कि 448 शिक्षक ऐसे हैं जिनकी पीजी की अंकसूची में 45 प्रतिशत से अधिक तथा 50 प्रतिशत से कम अंक हैं। इनकी अंकसूची में द्वितीय क्षेणी लिखा होने के कारण नियुक्ति दी गई है और ये भी दलील दी गई कि याचिकाकर्ताओं के अंक 50 प्रतिशत से कम तथा 45 प्रतिशत से अधिक हैं लेकिन उनकी अंकसूची में तृतीय श्रेणी लिखा होने के कारण नियुक्ति नहीं दी गई।

हाई कोर्ट ने बचे हुए पदों की भर्ती पर लगाई रोक 

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भर्ती नियमों में संशोध करने के निर्देश दिए थे, आज कोर्ट में जब सुनवाई हुई तो सरकार की तरफ से जवाब पेश किये गए, सरकार ने कहा कि हमने भर्ती नियमों में संशोधन करने के लिए हाई लेवल कमेटी गठित की है हमें 3 हफ़्तों का वक्त दिया जाये। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के अनुरोध को मानते हुए नियमों में संशोधन के लिए 3 हफ़्तों की मोहलत दे दी लेकिन तब तक बचे हुए पदों पर भर्ती पर रोक लगा दी।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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