यूनियन कार्बाइड कचरे के मुद्दे पर जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई, अदालत ने MP सरकार को दिया छह हफ्ते का समय, मीडिया को झूठी भ्रामक जानकारी न देने के निर्देश

जबलपुर उच्च न्यायालय ने सरकार को छह हफ्ते का समय दिया है ताकि वह जनता को विश्वास में लेकर सही जानकारी दे सके। सरकार ने अदालत को बताया कि कचरे का ट्रांसपोर्टेशन सुरक्षा मानकों के अनुसार किया गया है, लेकिन मीडिया की भ्रामक रिपोर्ट्स ने जनता के बीच विरोध को बढ़ावा दिया। अदालत ने सरकार को जनता के साथ संवाद स्थापित करने का समय दिया और मीडिया को निर्देश दिया कि वे बिना प्रमाण के कोई खबर न दें। इस मामले पर अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

Virendra Sharma
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High Court Hearing on Union Carbide Waste : पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर हाईकोर्ट ने आज सुनवाई करते सरकार को इस मामले में जनता को विश्वास में लेने के लिए छह हफ्ते का समय दिया है। साथ ही मीडिया को भी निर्देश दिए कि वो किसी तरह की भ्रामक खबरें या झूठी जानकारी न फैलाए। मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

बता दें कि भोपाल यूनियन कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर की रामकी कंपनी में जलाए जाने का कड़ा विरोध किया जा रहा है। इसे लेकर वहां जमकर बवाल हुआ और दो लोगों ने आत्मदाह का प्रयास भी किया था। वहीं, कांग्रेस ने भी इस मामले पर सरकार का विरोध करते हुए कचरे को पीथमपुर में नहीं जलाने की माँग की है।

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हाईकोर्ट में यूनियन कार्बाइड कचरे के मामले पर हुई सुनवाई

इस मामले पर मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में एफिडेविट दायर किया है, जिसमें राज्य द्वारा लीचिंग प्रूफ कंटेनरों में कचरे के ट्रांसपोर्टेशन को लेकर किए गए उपायों का उल्लेख किया गया है। सरकार ने कहा है कि यह ट्रांसपोर्टेशन पुलिस और प्रशासन की निगरानी में किया गया था और इसमें डॉक्टर्स, फायर ब्रिगेड तथा संबंधित अन्य व्यक्तियों की टीम भी मौजूद थी। इस ट्रांसपोर्टेशन को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से अंजाम दिया गया, जिसमें सभी SOP और टेंडर शर्तों का पालन किया गया था जोकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की गाइडलाइंस के अनुरूप थे।

सरकार ने मांगा समय

एफिडेविट में सरकार ने न्यायालय को बताया कि इस मामले को लेकर जनता में काफी विरोध उत्पन्न हो गया है, जिसका मुख्य कारण कुछ फर्जी मीडिया रिपोर्ट्स हैं। इन रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि कचरा अनलोड करने से एक और औद्योगिक आपदा हो सकता है, जिससे पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो सकता है। सरकार द्वारा इन भ्रामक मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन करते हुए अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जनता को सही जानकारी देने का प्रयास किया। इसके साथ ही, सरकार ने मीडिया से अपील की है कि वे बिना आधिकारिक पुष्टि के किसी भी तरह की खबरें न फैलाएं, ताकि जनता में भय और भ्रम का माहौल न बने। सरकार ने अदालत से अपील की है कि उसे जनता में विश्वास स्थापित करने के लिए कुछ समय दिया जाए।अदालत ने सरकार को निर्देश दिए कि सभी लोगों को विश्वास में लें कि सभी सुरक्षा प्रावधानों का पालन करते हुए 3 दिसंबर 2024 के आदेश का अनुपालन किया जा रहा है।

अदालत ने सरकार को छह हफ्ते का समय दिया

इसके बाद, न्यायाधीशों ने सरकार से पूछा कि इस प्रक्रिया में उसे कितना समय लगेगा। सरकार की तरफ पैरवी कर रहे वकीलों ने जवाब में अदालत से कंटेनर को अनलोड करने की अनुमति मांगी गई और गारंटी दी गई है कि यह प्रक्रिया पूरी सुरक्षा के साथ की जाएगी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की और इसे सरकार के निर्णय पर छोड़ दिया।

सरकार ने उच्च न्यायालय से छह हफ्ते का समय मांगा है ताकि वह जनता के साथ संवाद स्थापित कर सके और उन्हें इस प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी दे सके। इस छह हफ्ते के समय में सरकार सभी संबंधित उपायों को लागू करेगी और जनता को विश्वास में लेकर इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करेगी। अदालत ने सरकार को छह हफ्ते का समय देने का निर्णय लिया है और मीडिया संस्थानों को निर्देशित किया है कि वे किसी भी प्रकार की झूठी खबरें या भ्रामक जानकारी प्रकाशित करने से बचें, जो जनता के बीच भय और भ्रम पैदा कर सकती हैं। मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट


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