Sat, Dec 27, 2025

फर्जी जाती प्रमाण पत्र मामले में ज्योति धुर्वे को हाईकोर्ट से झटका, छानबीन समिति को नोटिस

Written by:Mp Breaking News
Published:
फर्जी जाती प्रमाण पत्र मामले में ज्योति धुर्वे को हाईकोर्ट से झटका, छानबीन समिति को नोटिस

जबलपुर।

फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले मे फंसी बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे ने हाईकोर्ट की शरण ली है। धुर्वे ने 6 फरवरी को जनजातीय कार्य विभाग के फैसले को चुनौति देते हुए उन पर की गई कार्यवाही को गलत ठहराया है। याचिका में उन्होंने दलील दी है कि जाति प्रमाण पत्र की जाॅच के जिस छानबीन समिति ने अपनी रिपोर्ट 5 फरवरी को सौंपी उसपर उन्हें अपना पक्ष नहीं रखने दिया गया और एक दिन के अंदर ही विभाग ने 1 अप्रैल 2017 को दिए गए अपने फैसले को कायम रखा। सुनवाई के दौरान अदालत ने तथ्यो को सुनते हुए प्रदेश सरकार, छानबीन समिति समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने जाति प्रमाणपत्र निरस्त करने के आदेश पर रोक लगाने से इंकार भी कर दिया है। 

गौरतलब है कि जनजाति विभाग के आदेश के बाद बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण-पत्र कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने निरस्त कर दिया था। सरकार के जनजातीय कार्य विभाग की एक उच्चाधिकार छानबीन समिति ने सांसद ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने संबंधी अपने पिछले निर्णय को बरकरार रखा था ।    

जाति प्रमाण पत्र पर क्या है गलत ?

जाॅच में पाया गया कि धुर्वे की जाति निर्विवाद रूप से बिसेन ( पवार ) हैं और यह मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित नहीं है। इस लिहाज़ से धुर्वे की जाति गोंड में नहीं आती है। समिति ने इस संबंध में 1 अप्रैल 2017 को आदेश जारी किया था। इस निर्णय के खिलाफ धुर्वे ने पांच मई 2017 को अपील की थी । इसके बाद विभाग ने 6 मई 2017 को अपने अप्रैल 2017 के आदेश पर कार्रवाई से रोक लगा दी थी और धुर्वे को गोंड एसटी जाति प्रमाण पत्र के संबंध में कागजात पेश करने का समय दिया था। इसके बाद पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया। समिति ने पाया कि उनके पिता महादेव की जाति गोंड नही बल्कि बिसेन  ( पवार ) है जबकि उनकी माॅ गोंड जाति से हैं। चूंकि किसी भी संतान की जाति के लिए पिता की जाति मान्य की जाती है इसलिए समिति ने जांच मे पाया कि धुर्वे की जाति निर्विवाद रूप से बिसेन पवार है, जो कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित नहीं है।