जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने एक बार फिर बड़ा निर्णय लिया है।हाई कोर्ट ने 20 साल पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति को संविदा में तब्दील नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार (State Government) को आवेदक को 8 हफ्ते के भीतर अनुकंपा नियुक्ति देने के आदेश दिए है।
दरअसल, याचिकाकर्ता धर्मेंद्र कुमार त्रिपाठी की तरफ से अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि उनके पिता असिस्टेंट वेटनरी ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे, उनकी साल 2000 में मृत्यु हो गई थी।इसके बाद धर्मेंद्र को 26 जून 2002 में संविदा शाला शिक्षक वर्ग 2 के रूप में 3 साल के लिए नियुक्ति दी गई, उसके 5 माह बाद 26 नवंबर को संविदा नियुक्ति भी समाप्त कर दी गई। याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखा गया कि अधिकारियों की गलत कार्यशैली से आवेदक के साथ अन्याय हुआ है।
इस पर चीफ जस्टिस रवी मलिमठ एवं जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने डायरेक्टर वेटरनरी साइंस भोपाल को आदेश दिए हैं कि याचिकाकर्ता को 8 सप्ताह के भीतर अनुकंपा नियुक्ति दी जाए और अधिकारियों के गलत कार्यशैली से गंभीर अन्याय हो गया है, ऐसे में डायरेक्टर समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को याचिकाकर्ता को 8 सप्ताह के भीतर 1 लाख रुपये अदा करने के निर्देश दिए हैं।
कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर! जल्द खाते में आएंगे 81000, जानें क्या है ताजा अपडेट
जबलपुर हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि नियम इस बात की इजाजत नहीं देता कि अनुकंपा नियुक्ति को संविदा में तब्दील कर दिया जाए, क्योंकि अनुकंपा नियुक्ति पूर्णकालिक होती है, इसलिए अनुकंपा में संविदा आधार पर नियुक्ति देना असंवैधानिक है।