जबलपुर, संदीप कुमार। एक तो बच्चे की उम्र महज डेढ़ साल और उसमें भी उस बच्चे का वजन सिर्फ 6 किलो, ऐसे में इतनी बड़ी बीमारी से बच्चे को बचाना डॉक्टरों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी, बच्चे के ऑपरेशन में जान का भी खतरा बना हुआ था, बच्चे के ऑपरेशन (Operation) के लिए डॉक्टरों (Doctors) के पास दो विकल्प थे एक था कि लेजर ऑपरेशन से पैर की नस से एक छल्ला बनाकर उसके हार्ट के छेद को बंद किया जाए, तो वहीं दूसरा विकल्प था ओपन हार्ट सर्जरी (Open Heart Surgery) का। लेकिन वह छेद एक ऐसी निचली और मुश्किल जगह पर था जहां पर ओपन हार्ट सर्जरी करने में बहुत ही परेशानी जाती, बच्चे के फेफड़े पर भी प्रेशर बहुत था जिसके चलते बच्चे की जान पर भी बन आ रही थी।
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महज डेढ़ साल के बच्चे के दिल में इतना बड़ा छेद होना और फिर बच्चे का सकुशल इलाज करना डॉक्टरों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी, बच्चे की हर हालत में जान बचाने के लिए डॉ. एल.उमामाहेश्वर, डॉ. सुनील जैन, डॉ. दिलीप तिवारी, डॉ. अमजद अली, डॉ. विनीत चावला और कार्डियक टीम ने निर्णय लिया कि क्यों ना बच्चे के ऑपरेशन के लिए एक नया तरीका इजाद किया जाए।
जबलपुर शहर के मेट्रो हॉस्पिटल में पदस्थ डॉ.एल उमामाहेश्वर और उनकी टीम जिस तरीके से बच्चे का ऑपरेशन करने की तैयारी कर रही थी वह बहुत ही रिस्की था पर डॉक्टरों की टीम ने हार नहीं मानी, बच्चे के ऑपरेशन के लिए आधा काम सर्जन ने किया और फिर आधा काम किया कार्डियक टीम ने, सर्जन टीम ने जहां बच्चे की हार्ट को ऊपर निकाला तो वहीं कार्डियो टीम ने डायरेक्टर छल्ला लगाकर ऑपरेट कर दिया और दिल के छेद को बंद कर दिया।
महज डेढ़ साल की उम्र के बच्चे को हाइब्रिड सफल सर्जरी के द्वारा ठीक करना यह अपने आप में मध्य भारत का पहला ऐसा जटिल ऑपरेशन है जो कि अभी तक इससे पहले कभी नहीं हुआ, अभी तक इस तरह के ऑपरेशन देश के चेन्नई-नई दिल्ली-हैदराबाद और अहमदाबाद में होते थे पर अब मध्यप्रदेश (MP) के जबलपुर (Jabalpur) में भी इस तरह का ऑपरेशन होना यह प्रदेश के लिए खुशी की बात है।