JABALPUR NEWS : अधिक फीस वसूली और कॉपी-किताब में किए गए घोटाले को लेकर जबलपुर में करीब एक दर्जन से अधिक निजी स्कूलों पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई की थी, इसके बाद इन स्कूल संचालकों को जेल की हवा भी खानी पड़ी, वहीं कुछ निजी स्कूलों ने जिला प्रशासन की कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि फीस निर्धारण करने का अधिकार जिला स्तरीय कमेटी को नहीं होता है। मामले पर हाईकोर्ट जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को यह कहते हुए उनकी याचिका रद्द कर दी है कि स्कूलों के पास राज्य स्तरीय समिति के पास जाने का विकल्प उपलब्ध है लिहाजा मामले पर हाई कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
कई बड़े नामी स्कूल
क्राइस्ट चर्च स्कूल, सेंट अलायसेस स्कूल, स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल, ज्ञान गंगा ऑर्चिडस इंटरनेशनल स्कूल, सेंट जोसेफ स्कूल एक दर्जन से अधिक निजी स्कूलों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि जबलपुर में जिला स्तरीय कमेटी की ओर से स्कूल फीस निर्धारित को लेकर और बढ़ाई गई फीस वापस करने के निर्देश दिए गए थे। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अपनी याचिका में यह भी कहा कि जिला स्तरीय कमेटी के पास यह अधिकार नहीं होता कि वह स्कूलों की फीस का निर्धारण करें इसके अलावा यह कार्रवाई के दौरान सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया।
इसलिए किया नोटिस जारी
इधर शासन की ओर से उप महाधिवक्ता ब्रह्म दत्त सिंह ने हाई कोर्ट को दलील देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन नियम 2017 की विभिन्न धाराओं में यह प्रावधान है कि स्कूल को पेश 3 वर्ष का आय-व्यय के साथ-साथ यह बताना आवश्यक है की फीस कितनी बढ़ाई गई है। उप महाधिवक्ता ब्रम्ह दत्त सिंह ने हाई कोर्ट को यह भी बताया कि जब स्कूल की तरफ से यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई तो उन्हें नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा गया था पर जब नोटिस का जवाब भी संतोषजनक नहीं पाया यही वजह है कि उनके खिलाफ नियम विरूद्ध बढ़ाई गई फीस वापसी का आदेश जिला कमेटी द्वारा किया गया है। आदेश जारी होने के बाद भी कमेटी ने स्कूलों को सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया था। उप महाधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता निजी स्कूलों के पास जिला कमेटी के पास राज्य स्तरीय कमेटी के पास अपील करने का अवसर है।
जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट