जबलपुर मेडिकल कॉलेज के पीजी डॉक्टर्स हड़ताल पर, ओपीडी में मरीज परेशान, सीनियर डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई

Atul Saxena
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Jabalpur News :  नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के पीजी डाक्टर आज से हड़ताल पर चले गए। जिसके चलाते ओपीडी में आने वाले मरीजों का खासा परेशान होना पड़ा, हालांकि मेडिकल कालेज प्रबंधन ने सीनियर डाक्टरों को ओपीडी में तैनात किया है। मेडिकल कालेज में तैनात जूडा पदाधिकारियों का कहना है कि स्टायपेंड का भुगतान नहीं किया गया है, जिसके कारण 9 और 10 जनवरी को रूटीन ड्यूटी और ओपीडी की सेवाएं बंद की गई है। 11 जनवरी से अपातकालीन सेवाएं और आपरेशन भी बंद कर दिए जाएंगे।

4 माह से स्टायपेंड के लिए सरकार से अनुरोध कर रहे हैं डॉक्टर्स 

जबलपुर मेडिकल कॉलेज में प्रथम वर्ष के पीजी छात्रों को बीते 4 माह से भुगतान नहीं हुआ है। इसके अलावा द्वितीय और तृतीय वर्ष के पीजी छात्रों को 2 माह से भुगतान अटका है। जूड़ा अध्यक्ष का कहना है कि हम 4 माह से स्टायपेंड के लिए सरकार से बात कर रहें है लेकिन जब इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आज से हड़ताल पर जाने को मजबूर है।

300 से ज्यादा पीजी छात्र पढ़ते हैं मेडिकल कॉलेज में 

नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के पीजी डॉक्टर्स को मनाने के लिए प्रबंधन ने कुछ डॉक्टर्स के खातों में 15 दिन का स्टायपेंड डाल दिया। मेडिकल कॉलेज में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में 300 से ज्यादा छात्र अध्ययनरत हैं। छात्रों के आज हड़ताल पर जाने के बाद भले ही सीनियर डाक्टरों की ड्यूटी लगाई है, लेकिन ओपीडी की चिकित्सा व्यवस्थाएं प्रभावित भी हो रही है।

ये हैं डॉक्टर्स की प्रमुख मांगें 

  •  सभी जूनियर डाॅक्टरों को जनवरी माह के पहले का पूरा वेतन भुगतान तत्काल प्रभाव से किया जाए।
  • प्रथम वर्ष के जूनियर डॉक्टर्स का 3 से 4 माह का बकाया वजीफा तत्काल प्रभाव से दिया जाए।
  • लिखित में आश्वासन दिया जाए कि आगे से प्रत्येक माह की 5 तारीख तक स्टायपेंड दिया जाएगा।
  • इंटर्न डॉक्टर्स को 5 महीने से स्टाइपेंड का भुगतान नहीं किया गया है, यह भी तत्काल हो।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट  


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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