जबलपुर, संदीप कुमार। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने ए.डी.जे के एक फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए हिदायत दी है कि आगे से इस तरह के फैसले ना सुनाए जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले से न्यायपालिका की छवि धूमिल होती है। दरअसल एक मामले पर अतिरिक्त सत्र न्यायधीश प्रशांत शुक्ला ने चोर को जमानत दे दी थी। जबकि उसके सह आरोपी को जमानत का लाभ नही दिया गया था।
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मैहर में पुलिस ने दो बाइक चोरों को गिरफ्तार कर न्यायलय में पेश किया था। जिसके बाद मैहर के इंद्रजीत पटेल ने हाईकोर्ट में दूसरी बार जमानत अर्जी दी थी, कोर्ट को बताया गया कि मैहर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रशांत शुक्ला ने 12 फरवरी 2022 को चोरी के मुख्य आरोपी अजय उर्फ गुड्डू मिश्रा की जमानत अर्जी मंजूर कर ली जबकि पुलिस को उससे चोरी की बाइक मिली थी। जबकि याचिकाकर्ता उसका साथी था जिसके पास से पुलिस को कुछ भी बरामद नहीं हुआ। फिर भी मुख्य अभ्युक्त को जमानत मिल गयी। साथ ही याचिकाकर्ता ने एडीजे पर मिलीभगत का भी आरोप लगाया है।
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इस प्रकरण को हाईकोर्ट में दायर किया गया था। जहां जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने कहा कि संबंधित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की सर्विस बुक में चेतावनी अंकित की जाए। हाईकोर्ट ने ए.डी.जे प्रशांत शुक्ला को आगे ऐसे प्रकरणों में सतर्क रहने की हिदायत भी दी है। एडीजी पर आरोप लगाया गया कि जिस आरोपी से चोरी का समान मिला उसे जमानत दे दी और दूसरे को नहीं।