Jabalpur News : प्रदर्शन करने पहुंचे सरपंच घंटों करते रहे कलेक्टर का इंतजार, धरने पर बैठे

Atul Saxena
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Jabalpur News :  जबलपुर कलेक्ट्रेट में आज जिले के सैकड़ो सरपंचों ने धरना दिया। सरपंच मंगलवार की सुबह से ही कलेक्ट्रेट में डटे रहे। जिले भर से आए पांच सौ से ज्यादा सरपंचों को उम्मीद थी कि उनकी मांग और बातों को सुनने के लिए कलेक्टर सौरभ के सुमन आएंगे, लेकिन घंटों तक कलेक्टर सरपंचों से मिलने नहीं आए और गेट बंदकर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया तो नाराज सरपंचों ने कलक्ट्रेट गेट पर ही धरना दे दिया।

5 सालों में सरपंचों के छिन गए पूरे अधिकार 

प्रदर्शन कर रहें सरपंचों का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि पंचायतें संबंध संपर्क और समन्वय से चलाई जाएंगी। लेकिन बीते 5 सालों में धीरे-धीरे पंचायत के पूरे अधिकार छीन लिए गए और अब पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं है जबकि 1993- 94 में पंचायती राज अधिनियम के दौरान पंचायत को 29 काम दिए गए थे। इनका अधिकार पंचायत के पास हुआ करता था। लेकिन अब यह पूरे अधिकार छीन लिए गए हैं।

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सरपंचों की तकलीफ 5 लाख में पंचायत चलाना मुश्किल 

सरपंच संगठन के सदस्य राकेश का कहना है कि आज ग्राम पंचायत का सरपंच अपने गांव में रहने वाले गरीब लोगों के लिए गरीबी रेखा कार्ड की अनुशंसा नहीं करवा सकता। मूल निवासी नहीं बना सकता। गांव में होने वाले खनन पर कोई टैक्स आज पंचायत नहीं ले सकती। पंचायत को चलाने के लिए सरकार हर साल 5 लाख रुपए देती है। पर समझा जा सकता है कि इस महंगाई के समय में पूरी पंचायत को चलाना बहुत कठिन है।

सरकार की वादाखिलाफी से परेशान हैं सरपंच 

सरपंच संगठन बीते कई दिनों से कोशिश कर रहा थे कि सरकार से उनकी बात हो और उनके पुराने अधिकार उन्हें दिए जाएं लेकिन शासन ने उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया इसकी वजह से अब धरना दे रहे हैं। सरपंचों का कहना है कि सरकार  उनसे कह रही है कि ग्रामीणों से टैक्स ले और पंचायत के काम करो लेकिन इस स्थिति में ये कैसे संभव है।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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