जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। बलात्कार के आरोप में फरार चल रहे निलंबित टीआई संदीप अयाची की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। महिला आरक्षक के साथ दुष्कर्म के मामलें में टीआई संदीप अयाची को पकड़ने पुलिस इनाम तक घोषित कर चुकी है, वही इस मामलें में हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी ने अपराध को गंभीर प्रवृत्ति का मानते हुए अग्रिम जमानत का लाभ देने से इंकार कर दिया। अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि आरोपी टीआई की गिरफ्तारी पर 5 हजार रुपए का इनाम घोषित है। पूर्व में भी आरोपी ने अपने ओहदे की धमकी पीड़िता को दी है। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया।
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यह था मामला
यह मामला पूरे प्रदेश में सुर्खियों में आया था, जब महिला आरक्षक ने कटनी में पदस्थ टीआई संदीप अयाची पर रेप का आरोप लगाया था, हालांकि उसके बाद पीड़िता ने इस मामलें में टीआई संदीप को अपने पितातुल्य बताते हुए मानसिक परेशानी में इस तरह से आरोप लगाने की बात की थी लेकिन उसके कुछ महीनों बाद अचानक 3 अगस्त 2022 को महिला थाना जबलपुर में बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी। महिला आरक्षक ने एफआईआर में लिखवाया कि साल 2018 में जबलपुर के गोरखपुर थाने में पदस्थ थे ।उसी थाने में संदीप अयाची टीआई के रूप में पदस्थ थे। इस दौरान दोनों में दोस्ताना बंधन बन गए थे। इसके बाद संदीप अचायी का स्थानांतरण जबलपुर के पनागर थाने हो गया था। उसकी भी डयूटी पनागर थाने में लगाई गई थी। इस दौरान टीआई उसे एक होटल के कमरें में ले गए और शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कृत्य किया। इसके बाद पचपढ़ी, पेंच सहित अन्य स्थानों में ले जाकर शादी का झांसा देकर दैहिक शोषण किया प्रयागराज ले जाकर उसके साथ औपचारिक रूप से विवाह भी किया था। अग्रिम जमानत याचिका में कहा गया था कि दोनों के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध स्थापित हुए थे। शिकायतकर्ता बालिग थी और सहमति से संबंध बनने के कारण बलात्कार का अपराध नहीं बनता है।