जबलपुर। संदीप कुमार।
भारत-पाकिस्तान के बीच जब 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था तो इस युद्ध मे सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों के कर्मचारियों ने साथ दिया था देश की सभी 41 फैक्टरी में कार्यरत कर्मचारी दिन रात काम किए जिसका नतीजा ये था कि भारत ने पाकिस्तान के युद्ध मे छक्के छुड़ा दिए।
कारगिल युद्ध मे जबलपुर का रहा अहम योगदान
जब कारिगल में युद्ध चल रहा था तो देश की सबसे बड़ी केंद्रीय सुरक्षा संस्थान ऑर्डन्स फैक्ट्री खमरिया,गन कैरिज फैक्ट्री, व्हीकल फैक्ट्री, ग्रे आयरन फाउंड्री के कर्मचारी सेना के लिए युद्ध सामग्री बनाने में जुटे हुए थे।वहाँ कारगिल में सेना के जवान पाकिस्तान से युद्ध कर रहे थे यहाँ जबलपुर की फेक्ट्रियो में कार्यरत कर्मचारी दिन-रात उत्पादन में जुटे हुए थे।
कारगिल युद्ध मे नींव का पत्थर रही जबलपुर की सुरक्षा संस्थान……
जिस समय कारगिल युद्ध हुआ था उस समय सेना के लिए गोला-बारूद बनाने वाले कर्मचारियों ने अपने अतीत को याद करते हुए बताया कि जो भी आयुध निर्माणी में गोला-बारूद बनते है वो 100 % भरोसेमंद होते है यही वजह है कि सेना हमेशा से ही इसी एम्बुनेशन को पसंद करती है।रिटायर्ड कर्मचारी बताते है कि जैसे ही कारगिल में भारत-पाकिस्तान का युद्ध शुरू हुआ वैसे ही हम कर्मचारियों को गोला बारूद बनाने का टारगेट मिल गया।सभी कर्मचारी खाना-पीना छोड़कर उत्पादन करने में जुट गए और दिन-रात एक कर दिया।युद्ध भूमि में भारतीय सेना लगातार हमला कर रही थी तो वही सुरक्षा संस्थान के कर्मचारी माल बनाने में जुटे हुए थे।
B.P.M.S के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने साझा की कारगिल युद्ध की यादें
पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र तिवारी ने बताया कि देश की सुरक्षा संस्थान सिर्फ कारगिल युद्ध ही नही बल्कि हर युद्ध में अपना बराबर का योगदान देते है,उन्होंने बताया कि जब युद्ध का बिगुल बजा था तब फेक्ट्रियो के कर्मचारियों ने न समय देखा-न ओवरटाइम देखा बस लगातार काम करते रहे,वहाँ जंग चल रही थी इधर सेना के लिए उत्पादन कर बॉर्डर तक भेजना का काम फैक्ट्री कर रही थी।
जबलपुर में है चार ऑर्डन्स फैक्ट्रियां
जबलपुर में देश की सबसे बड़ी सुरक्षा संस्थान ऑर्डन्स फैक्ट्री खमरिया जो कि सेना के गोला बारूद बनाती है इसके अलावा सेना के लिए तोप बनाने वाली फैक्ट्री जीसीएफ,बड़े-बड़े वाहन बनाने वाली व्हीकल फैक्टरी जबलपुर और ग्रे आयरन फॉउंड्री है जहाँ वाहन के पार्ट्स बनाए जाते है।
सेना की मदद करने वाले कर्मचारी आज जूझ रहे है निगमीकरण से
कारगिल युद्ध सहित कई बड़ी-बड़ी लड़ाइयों में सेना का साथ देने वाले केंद्रीय सुरक्षा संस्थान के कर्मचारी आज संस्थानों के निगमीकरण होने से जूझ रहे है।हमेशा सेना और देश के लिए मर मिटने को तैयार कर्मचारियों की फैक्ट्री आज निगमीकरण की राह पर जाने को तैयार है ऐसे में ये कर्मचारी आज अपने आपको परेशान महसूस कर रहे है।