जबलपुर।
जिले मे पुलिस की संपत्तियों पर भूमाफियाओ की नज़रे गिदद् की तरह गड़ गई है। यही वजह है कि शहर के एक एसपी धन्नासेठ और नामचीन बिल्डर ने जिले के पुलिस अधीक्षक के सरकारी निवास की रजिस्ट्री करवा ली । संपत्ति हथियाने के तमाम प्रयासो के बावजूद जब संबंधित बिल्डर निचली अदालत और हाईकोर्ट से हार गया तो अब उसके द्वारा फिर एक परिवाद एडीजे कोर्ट मे दायर कर संपत्ति पर अपना मालिकाना हक का दावा पेश किय गया है।
इस पूरे मामले मे पुलिस अधीक्षक अमित सिंह का कहना है कि बिल्डर द्वारा तथ्यो को छुपकर परिवाद दायर किया गया है ।जिसपर कानूनी तौर पर अपना पक्ष जिला पुलिस प्रशासन अदालत मे रखेगा। जानकारी के मुताबिक बिल्डर द्वारा एसपी बंगले की रजिस्ट्री साल 2003 मे अपने नाम पर करवा ली गई थी।
इस पूरे मामले को लेकर लंबी कानूनी प्रक्रिया भी चली थी जिसमे बिल्डर को कुछ भी हासिल नही हो सका। अब एक बार फिर बिल्डर के हौसले इतने बुलंद हो गए है कि उसने पुलिस कप्तान के सरकारी आवास पर एक बार फिर अपना दावा पेश किया है। पूरे मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक ने संबंधित बिल्डर के खिलाफ जाॅच लंबित होने की बात कही है। चूंकि मामला 10 साल से भी ज्यादा पुराना है । तत्कालीन एसपी मकरंद देउस्कर की पदस्थापना के दौरान ये पूरा मामला प्रकाश मे आया था।
संपत्ति को लेकर दर्ज रिकाॅर्ड के मुताबिक
– ब्रिटिश काल मे इस बंगले पर एएसपी रैंक के अधिकारी निवास करते थे
– इस संपत्ति मे 1944 मे लेफ्टीनेंट गवर्नर सी पी बरार निवास करते थे
– 1973 मे राज्य शासन ने इस बंगले को पुलिस अधीक्षक निवास के रूप मे आवंटित कर दिया ।