खाद्य विभाग का अधिकारी 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ा, कलेक्ट्रेट में मचा हडकंप

Atul Saxena
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Lokayukta Police Jabalpur Action : रिश्वत लेने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ लगातार हो रही कार्यवाही के बावजूद रिश्वतखोरी रुक नहीं रही है। इसी क्रम में आज एक और रिश्वतखोर अधिकारी लोकायुक्त पुलिस की गिरफ्त में आया है।

खाद्य विभाग का अधिकारी 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ा, कलेक्ट्रेट में मचा हडकंप

 

रिश्वत लेते कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी गिरफ्तार

जबलपुर लोकायुक्त पुलिस की टीम ने कटनी में खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग में पदस्थ कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी को 30,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है। लोकायुक्त की कार्यवाही की सूचना लगते ही कलेक्ट्रेट भवन में हड़कंप मच गया। लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचर निवारण अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।

अनाज वितरण का संचालन देने मांगी थी 50 हजार रुपये की रिश्वत 

जानकारी के अनुसार कटनी कलेक्ट्रेट स्थित खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में पदस्थ कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी संतोष नंदनवार को सोमवार की दोपहर जबलपुर लोकायुक्त पुलिस की टीम ने रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है। इस संबंध में कुठला थाना क्षेत्र के बड़ागांव निवासी सपना सवा सहायता समूह के राजकुमार बर्मन ने बताया कि उसकी पत्नी रमा बर्मन सहायता समूह का संचालन करती है। कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी ने अनाज वितरण का संचालन (यानि नई राशन दुकान पासकराने) देने के लिए 50 हजार की रिश्वत मांगी थी। लेकिन फिर सौदा 30 हजार में सौदा तय हुआ।

लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते रंगे हाथ ट्रेप किया 

राजकुमार का कहना है कि घूस मांगने की शिकायत उसने लोकायुक्त एसपी कार्यालय जबलपुर को की थी। लोकायुक्त की टीम ने सोमवार को अपनी योजना के अनुसार राजकुमार को पैसा देकर कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी संतोष नंदनवार के पास भेजा।  जैसे ही राजकुमार ने कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी को रिश्वत के पैसे दिए वैसे ही लोकायुक्त की टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।

खाद्य विभाग का अधिकारी 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते लोकायुक्त पुलिस ने पकड़ा, कलेक्ट्रेट में मचा हडकंप

जबलपुर से संदीप कुमार, कटनी से अभिषेक दुबे की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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