जबलपुर।संदीप कुमार।
मंडी एक्ट का अध्यादेश और नए संसोधन को लेकर लागू किए जा रहे मॉडल का मंडी कर्मचारियों ने विरोध किया है।जबलपुर संभाग सहित प्रदेश भर की मंडी के कर्मचारियों ने आज एक दिवसीय हड़ताल कर अपना विरोध जता रहे थे।जबलपुर की कृषि उपज मंडी में आज सैकड़ो कर्मचारी इकट्ठा होकर अपनी मांगे सरकार के सामने रखी।
गजब का था सोशल डिस्टेन्स का पालन
कोरोना काल मे सरकार के निर्देश थे कि सोशल डिस्टेन्स बना कर मास्क पहन कर रखे।इस आदेश का मंडी कर्मचारियों ने बाकायदा पालन किया और 6 फ़ीट की दूरी रख कर अपना विरोध जताया।मंडी एक्ट के विरोध में आज बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई।
आज रहेगा मंडी में काम बंद, व्यापारियों को होना पड़ेगा परेशान
मंडी शुल्क को लेकर हुए नए संसोधन का विरोध कर रहे कर्मचारियों के बीच आज व्यपारियो को भी परेशान होना पड़ेगा।कर्मचारियों के हड़ताल में रहने के चलते खरीदी भी पूरी तरह से प्रभावित रहेगी।इसके अलावा हम्माल,किसान, तुलावटी लोगो का भी नुकसान होगा।
एक्ट आने से जमीदारी प्रथा की होगी वापसी
मंडी कर्मचारी संघ के संभागीय अध्यक्ष दिलीप सिंह का कहना है कि अगर केंद्र सरकार का ये एक्ट लागू होता है तो बहुत से परिवर्तन हो जाएंगे जो कि न मंडी के हित मे होंगे और न कर्मचारियों के लिए।कहा जा सकता है कि सालों पुरानी परंपरा जमीदारी,सामंतवाद को व्यापार उस दिशा में चला जाएगा…..
केंद्र सरकार का अध्यादेश और मॉडल एक्ट है कर्मचारी विरोधी
मंडी कर्मचारियों की माने तो केंद्र सरकार का अध्यादेश पूरी तरह से कर्मचारी विरोधी है।इस एक्ट के लागू होने के बाद कर्मचारियों का वेतन,भत्ता,पेंशन को लेकर समस्या आ जायेगी।मंडी एक्ट में संसोधन को लेकर सरकार से कर्मचारियों की मांग है कि उनका भी इस एक्ट संसोधन में ख्याल रखा जाए।
किसान,व्यापारियों से पैसा लेकर सरकार को देते थे कर्मचारी
संभागीय अध्यक्ष दिलीप सिंह का कहना है कि अभी तक कर्मचारी किसान,व्यपारियो से पैसा इकट्ठा करके न सिर्फ अपने परिवार का पालन पोषण करते थे बल्कि शासन को भी राजस्व दिया जाता था पर अब जबकि अगर ये अध्यादेश और एक्ट लागू हो गया तो कर्मचारियों के सामने संकट खड़ा हो जाएगा।
माँग पर नही हुआ विचार तो बनेगी उग्र रणनीति
मंडी कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष सुधा तिवारी का कहना है कि मंडी शुल्क में नए संसोधन को लेकर आज पहला विरोध सामूहिक रूप से काम बंद कर हड़ताल के साथ किया है फिर भी अगर प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री हमारी मांगों पर विचार नही करते है तो आगामी की रणनीति भोपाल में बनाई जाएगी क्योकि सरकार के इस कदम से आर्थिक संकट गहरायेगा।