जबलपुर/संदीप कुमार
कोरोना वायरस के कारण लॉक डाउन में बीते दो माह से लोग अपने घरों पर बैठे है, ऐसी स्थिति में ज्यादातर समय लोग मोबाईल में ही व्यस्त रहते है। मोबाइल इंटरनेट से लोग कोविड-19 को लेकर देश भर का अपडेट भी ले रहे है। साथ ही इस लॉक डाउन में मनोरंजन के रूप में मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग कर रहे है। मनोचिकित्सकों के मुताबिक लॉक डाउन में अपने घरों पर फ्री बैठे ज्यादातर लोग मोबाईल पर ही रहते हैं, लेकिन अधिक मोबाइल उपयोग करना न सिर्फ दिमाग के लिए नुकसानदायक है बल्कि परिवार में भी दूरियां का कारण भी ये मोबाइल बन रहा है।
ऑस्ट्रेलिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल है नुकसानदायक
मनोचिकित्सक डॉ स्वप्निल अग्रवाल भी मानते है कि ज्यादा मोबाइल उपयोग करना दिमाग को नुकसान पहुँचाता है। इतना ही नही मोबाइल के आदी होने के चलते परिवार से भी दूरियां बनती है। मनोचिकित्सक बताते है कि 18 से 25 साल के युवा आज दिन भर में 56 बार मोबाइल का उपयोग करते है, मतलब हर 15 मिनिट में मोबाइल का उपयोग युवा कर रहे हैं। वहीं इस डाटा के मुताबिक आज हर 10 में से 9 व्यक्ति अपने परिवार के साथ रहते हुए मोबाईल का उपयोग कर रहे हैं, वही 10 में से 7 लोग जब अपने दोस्तों के साथ रहते हुए मोबाइल का उपयोग करते है।
सोते समय बेड पर मोबाईल उपयोग करना भी है घातक
मनोचिकित्सक डॉ स्वप्निल अग्रवाल की मानें तो सोते समय बिस्तर पर मोबाइल का उपयोग करना बेहद ही नुकसानदायक साबित होता है। डॉक्टर का कहना है कि रात को सोते समय हमारा ब्रेन मेलाटोनिन हारमोन बनाता है पर अगर आप बेड पर आ गए है और अंधेरे में भी मोबाइल का उपयोग कर रहे है तो फिर हमारा ब्रेन मेलाटोनिन हार्मोन नही बनाता है जो कि नुकसानदायक है, और व्यक्ति को नींद न आना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसी बीमारी उत्पन्न हो सकती है।
लॉक डाउन में डिप्रेशन और एंजेटिक के मरीजो की बढ़ी है संख्या
डॉ स्वप्निल अग्रवाल बताते है कि वर्तमान में लगे लॉक डाउन के बीच डिप्रेशन-एंजेटिक-मीनिया के पेशेंट्स की संख्या बढ़ी है। बीते दो माह में ऐसे मरीजो की संख्या दुगनी हुई है जो कि घरों में बैठे है और ज्यादातर समय मोबाइल में व्यस्त रहते है। इसलिये डॉक्टर की सलाह मानिये और मोबाइल की बजाय अपने परिवार वालों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत कीजिये।