MP High Court Decision: हाईकोर्ट ने बहुचर्चित अंतर-धर्म विवाह के मामले में गुरुवार को फैसला सुना दिया है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने इंदौर की अंकिता और जबलपुर के हसनैन को स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 की धारा 4 के तहत शादी की मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार और प्रशासन को भी निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा, “स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 की धारा 4 के तहत प्रेमी जोड़े को शादी करने का अधिकार है।” प्रेमी जोड़े ने पुलिस सुरक्षा के लिए याचिका दायर की थी। वहीं लड़की के पिता शादी के खिलाफ थे। मैरिज पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। जिसपर कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुना दिया है।

राज्य सरकार को दिए ये निर्देश (Inter Religion Marriage Case)
कोर्ट ने राज्य सरकार को मुस्लिम युवक और हिंदी युवती की शादी में सहायता करने का निर्देश दिया है। मैरिज कोर्ट में दोनों की शादी प्रशासन की निगरानी में करवाई जाएगी। शादी में बाधा डालने वालों पर पुलिस प्रशासन द्वारा एक्शन लिया जाएगा। एक महीने तक पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाएगा। कोर्ट ने कहा जरूरत पड़ने पर पुलिस सुरक्षा बढ़ाई भी जा सकती है।
क्या है पूरा मामला? (MP News)
अंकिता और हसनैन दोनों 4 वर्षों के रिलेशनशिप में थे। एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होनें कलेक्टर कार्यालय में आवेदन भी किया था। लेकिन युवती के परिजनों से विशेष विवाह अधिनियम का हवाला देते हुए शादी का विरोध किया। युवती के भाई ने युवक पर लव जिहाद का आरोप भी लगाया था। गुमशुदगी की रिपोर्ट भी लिखवाई थी। प्रेमी जोड़े ने कोर्ट से पुलिस सुरक्षा की मांग की। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने 12 नवंबर को दोनों की शादी करवाने का फैसला सुनाया था। लेकिन चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने आदेश पर रोक लगा दी थी।