दुष्कर्म मामले में डॉक्टर और पुलिस की बड़ी लापरवाही, हाई कोर्ट ने की तल्ख़ टिप्पणी

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार। दुष्कर्म (Rape) से जुड़े एक मामले में डॉक्टर्स और पुलिस अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने नाराजगी जताई है और तल्ख़ टिप्पणी करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। मामला एक पुलिस आरक्षक पर दुष्कर्म के आरोप (rape case against police constable) से जुड़ा है।

एक युवती के साथ दुष्कर्म के एक मामले में मध्य प्रदेश पुलिस (MP Police) में पदस्थ आरक्षक को बचाने को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एडीजीपी को फटकार लगाई है साथ ही राज्य स्तरीय विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमेटी को निर्देश दिए हैं कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कड़ी कार्यवाही की जाए।  जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने रजिस्ट्रार से कहा है कि डीएनए से जुड़ी दो जांच रिपोर्ट के साथ आदेश की कॉपी मुख्य सचिव के माध्यम से विजिलेंस कमेटी को भेजें।  इतना बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी पुलिसकर्मी अजय साहू की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है।

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के मामले में आरोपी पुलिसकर्मी अजय साहू के डीएनए सैंपल से छेड़छाड़ की गई है। जबलपुर निवासी आरक्षक अजय साहू वर्तमान में छिंदवाड़ा जिले में पदस्थ है उसके खिलाफ अजाक थाने में दुष्कर्म और एससी- एसटी की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था, आरोपी को 13 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया, दुष्कर्म के बाद पीड़िता के गर्भवती होने पर उसका गर्भपात कराया गया, डीएनए सैंपल ठीक से सुरक्षित नहीं रखा।

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20 अप्रैल को जबलपुर जोन के एडिशनल डीजीपी उमेश जोगा ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी, रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट ने पाया कि छिंदवाड़ा सिविल सर्जन डॉ शेखर सुराना ने हाई कोर्ट को गलत जानकारी उपलब्ध कराई, इसके अलावा कोर्ट ने यह भी माना कि एडीजीपी ने बिना विचार किए ही रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिए, जबकि उसमें एक स्टाफ नर्स के बयान दर्ज नहीं हुए थे, हाई कोर्ट ने यह भी माना है कि आरोपी एक पुलिसकर्मी है और इसलिए उच्च अधिकारी उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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