हाई कोर्ट ने तहसीलदार को लगाई फटकार, हाजिर होने का आदेश दिया, कहा- “लगता है कलेक्टर और कोर्ट से ऊपर हो गए हैं”

पंजाब नेशनल बैंक की और से कोर्ट में पेश हुए अधिवक्ता कपिल दुग्गल ने बताया कि पूर्व तहसीलदार सुनील वर्मा और वर्तमान तहसीलदार आलोक पारे ने कलेक्टर के आदेश को नहीं माना, इतना ही नहीं हाई कोर्ट के आदेश की भी इन्होंने अवहलेना की है।

Atul Saxena
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Jabalpur News : जबलपुर हाईकोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए भोपाल एमपी नगर के पूर्व और वर्तमान तहसीलदार को फटकार लगाते हुए आदेश दिए है कि अगली सुनवाई में दोनों ही उपस्थित रहे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि लगता है कि भोपाल के तहसीलदार कलेक्टर और हाईकोर्ट से ऊपर हो गए हैं। सुनवाई जस्टिस एके सिंह की कोर्ट में हुई।

भोपाल के एमपी नगर जोन-1 में स्थित कान्हा कैसल होटल के द्वारा लोन लिया गया था, जिसे न चुकाने पर उसे डीफॉल्टर कर दिया गया। होटल की प्रॉपर्टी के वैधानिक दस्तावेज मॉर्गेज कराकर संचालकों ने बैंक से लोन लिया था। बैंक से लोन लेने के बाद जब किस्त जमा नहीं की गई तो बैंक ने सरफेसी एक्ट के तहत संपत्ति पर कब्जा करने कलेक्टर के समक्ष आवेदन दिया था। भोपाल कलेक्टर ने बैंक के पक्ष में आदेश जारी करते हुए तहसीलदार एमपी नगर को कब्जा सुपुर्द करने के निर्देश दिए थे, लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ।

भोपाल कलेक्टर के आदेश को तहसीलदार ने नहीं माना 

भोपाल कलेक्टर के द्वारा पारित आदेश के बाद भी एमपी नगर के तहसीलदार के द्वारा पालन नहीं किया गया। जिसके बाद बैंक ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तहसीलदार को आदेश दिए कि 60 दिनों में बैंक को कब्जा सुपुर्द किया जाए, पर तहसीलदार ने आदेश को नहीं माना, जिसके बाद हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई।

हाईकोर्ट के आदेश की भी की अवहेलना 

पंजाब नेशनल बैंक की और से कोर्ट में पेश हुए अधिवक्ता कपिल दुग्गल ने बताया कि पूर्व तहसीलदार सुनील वर्मा और वर्तमान तहसीलदार आलोक पारे ने कलेक्टर के आदेश को नहीं माना, इतना ही नहीं हाई कोर्ट के आदेश की भी इन्होंने अवहलेना की है। हाई कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए अगली तारीख 24 अप्रैल नियत की है।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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