Jabalpur News : मप्र उच्च न्यायालय ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की याचिका पर एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार को आदेश दिया है कि ओंकारेश्वर बांध प्रभावित किसानों के वयस्क पुत्रों को भूमिहीन प्रभावितों के समकक्ष विशेष पैकेज दिए जाने के संबंध में वो अगले 2 माह में निर्णय ले। न्यायाधीश विशाल मिश्रा और न्यायाधीश अवनिंद्र कुमार सिंह की खंडपीठ ने आदेश में यह भी कहा है कि सरकार निर्णय लेने से पूर्व याचिकाकर्ता नर्मदा बचाओ आन्दोलन की सुनवाई करे और विस्तृत निर्णय पारित कर उन्हें सूचित करे।
क्या है मामला
नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल ने बताया कि ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों के लंबे जल सत्याग्रह के बाद राज्य सरकार ने 7 जून 2013 को ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों के लिये एक विशेष पैकेज देने का आदेश दिया था। इस आदेश द्वारा भूमिहीन परिवारों व उनके वयस्क पुत्रों को 2.5 लाख रुपये का अतिरिक्त पैकेज दिया गया था। बाद में राज्य सरकार द्वारा 31 जुलाई 2019 के आदेश द्वारा इस पैकेज पर 15% वार्षिक ब्याज भी दिया गया था। सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में ली गयी भूमिका और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार ओंकारेश्वर बांध प्रभावित किसानों के व्यस्क पुत्रों को भूमिहीनों को दिए जाने वाले सभी लाभ दिए जाने जरुरी है, परन्तु बार बार मांग करने पर भी ये लाभ इन व्यस्क पुत्रों को नहीं दिये गए. इन्हीं लाभों की प्राप्ति के लिये नर्मदा आन्दोलन द्वारा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी थी।
उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता के वकील ने कही ये बात
कल 29 नवम्बर को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज शर्मा द्वारा उच्च न्यायालय को बताया गया कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 10 जुलाई 2023 में राज्य सरकार को किसानों के व्यस्क पुत्रों के विषय जल्द से जल्द निर्णय लेने का आदेश दिया था, परन्तु याचिकाकर्ता नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा अतिरिक्त मुख्य सचिव से बार बार मुलाकात करने के बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है।
याचिका में समय सीमा निर्धारित करने की मांग
अधिवक्ता शर्मा द्वारा बताया गया कि उच्च न्यायालय में राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट भूमिका ली गयी थी कि ओंकारेश्वर बांध प्रभावित किसानों के वयस्क पुत्रों को भूमिहीनों को दिये जाने वाले सभी लाभ दिये जा रहे हैं। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा था कि किसानों के व्यस्क पुत्रों को व भूमिहीनों के व्यस्क पुत्रों को समान लाभ दिए जाने चाहिये. परंतु ये लाभ किसानों के वयस्क पुत्रों को नहीं दिये गये हैं। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से आग्रह किया कि वह सरकार को आदेश दे कि इस विषय पर एक निश्चित समय सीमा में निर्णय लिया जाये।
हाई कोर्ट ने सरकार को दिया ये आदेश
सुनवाई के बाद न्यायालय की खंडपीठ द्वारा आदेश दिया गया कि सरकार इस विषय में नर्मदा आंदोलन द्वारा दिये गये ज्ञापन दिनांक 10.02.2022 पर 2 माह में निर्णय ले। आदेश में यह भी कहा गया है कि सरकार द्वारा निर्णय लेने के पूर्व याचिकाकर्ता नर्मदा बचाओ आन्दोलन को सुना जाये और इस सम्बन्ध में विस्तृत आदेश पारित कर याचिकाकर्ता को सूचित किया जाये।
जबलपुर संदीप कुमार की रिपोर्ट