मप्र हाई कोर्ट का गृह सचिव, डीजीपी, एसपी जबलपुर, सहित आधारताल पुलिस को नोटिस जारी

madhya pradesh high court

जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। जबलपुर की आधारताल पुलिस के झूठे प्रकरण में फसाये जाने के मामलें को मप्र हाई कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए आरोप संबंधी याचिका पर जवाब-तलब कर लिया है। इस सिलसिले में गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, पुुलिस अधीक्षक, जबलपुर, सीएसपी अधारताल, थाना प्रभारी अधारताल व जांच अधिकारी को नोटिस जारी किए गए हैं। कोर्ट ने इन्हे जवाब के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है, न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता महाराजपुर, अधारताल, जबलपुर निवासी इंजीनियरिंग स्नातक विधि छात्रा वंदना मेहरा ने स्वयं इस मामलें में पैरवी की। वंदना ने कोर्ट में बताया की अधारताल पुलिस उनके भाई राजेंद्र मेहरा उर्फ बड़े मियां के पीछे पड़ी है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक पुराने मामले में जेल में बंद होने की अवधि में नया अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया। सवाल उठता है कि जो व्यक्ति जेल में बंद था, वह बाहर हत्या जैसा संगीन अपराध कैसे कर सकता है।

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बहस के दौरान याचिककर्ता ने कोर्ट में बताया कि अधारताल पुलिस की दुर्भावना का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि राजेंद्र के जबलपुर छोड़कर गुवाहाटी, आसाम चले जाने के बावजूद भी पुलिस उसे अपना शिकार बनाती रही, इस दौरान अधारताल पुलिस ने गवाह को गवाही बदलने के लिए प्रताड़ित करने की धारा के तहत एक नया अपराध दर्ज कर लिया। वंदना का आरोप है कि अधारताल थाने का इंस्पेक्टर इंद्रजीत यादव एक कांस्टेबल के साथ याचिकाकर्ता के घर पहुंचा और छोटे भाई आलोक की मोबाइल से फोटो खींच ली। साथ ही डोजर रिपोर्ट पर साइन करने थाने आने का आदेश देकर चला गया। इससे पूरा परिवार डरा-सहमा है। इस मामले में अधिवक्ता ओमशंकर विनय पांडे व अंचन पांडे ने पूर्व में याचिकाकर्ता के भाई को जमानत दिलवाई थी। उन्होंने अवगत कराया कि मामला फंसाये जाने से सम्बंधित है। वंदना मेहरा का कहना है कि टीआई की गैरमौजूदगी में प्रकरण दर्ज किया गया। एसपी से शिकायत के बाद भी पुलिस मनमानी कर रही है।


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Harpreet Kaur