जबलपुर/संदीप कुमार
भोपाल में सफल परीक्ष के बाद अब जबलपुर में भी प्लाजमा थेरेपी शुरू की गई है। मेडिकल कालेज में इस थेरेपी के जरिए मरीजों को ठीक किया जाएगा। इसके लिए संभाग कमिश्नर महेशचंद्र चौधरी की मेहनत और कोशिश रंग लाई है।
प्लाज्मा थेरेपी अथवा प्लास्माफेरेसिस ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा (जिसमें एंटीबॉडीज शामिल होती हैं) को रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है।
इसके लिए डोनर (कोरोना से ठीक हो चुके मरीज़) का खून मशीन द्वारा पारित किया जाता है। इस प्रक्रिया में कोरोना इंफेक्शन से ठीक हुए लोगों के खून (प्लाज्मा) से बीमार लोगों का इलाज किया जाता है। प्रक्रिया के जरिए पीड़ित व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में गुणात्मक इजाफा होता है जिससे वह भी करोना के संक्रमण को मात देकर स्वस्थ हो सकते है।
प्लाज्मा थेरेपी का सफलपूर्ण उपयोग पहले भी अन्य बीमारियों में किया जा चुका है।
प्लाज्मा थेरेपी अन्य शहरों में कोरोना के गम्भीर मरीजों के उपचार में मददगार साबित हो रही है। शहर में कोरोना के बढ़ते हुए गंभीर मामलों एवं मृत्यु दर को देखते हुए ये बहुत आवश्यक है की प्लाज्मा थेरपी का ज़्यादा से ज़्यादा उपयोग हो। इसकी सफलता के लिए ज़रूरी है की कोरोना से स्वस्थ होकर घर गए मरीज़ अस्पताल आकर अपना प्लाज्मा डोनेट करें। जितने ज़्यादा डोनर आते है उतना ही चिकित्सकों को गंभीर मरीज़ों का इलाज़ करने में सफलता प्राप्त होगी। प्लाज्मा डोनेट की प्रक्रिया में 30-45 मिनट का समय लगता है। एक व्यक्ति 2 हफ्ते में एक बार प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। डोनेशन विशेषज्ञों की निगरानी में होगा। कहा जा सकता है कि अगर जबलपुर में ये प्लाजमा थेरेपी की शूरुआत हुई है तो निश्चित रूप से कोरोना से लड़ने में ये मददगार साबित होगी।