Jabalpur paddy scam: स्कूल माफिया पर नकेल कसने के बाद जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने दूसरी बड़ी कार्रवाई की है। कलेक्टर ने करोड़ों रुपये के धान घोटाले का भंडाफोड़ किया है। जबलपुर जिले में धान की खरीदी, परिवहन और मिलिंग में फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है। कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर फर्जीवाड़े में शामिल 74 लोगों के खिलाफ जिले के 12 थानों में एफआईआर दर्ज की गई है। पूरे खेल में 13 कर्मचारी, 17 राइस मिलर, 25 सोसाइटी के 44 कर्मचारियों समेत 74 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई है।
आपको बता दें वर्ष 2023-24 में सरकारी नियमों के तहत जबलपुर जिला प्रशासन ने धान खरीदी शुरू की और उसे वेयरहाउस में सुरक्षित रख दिया गया, लेकिन खेल उस वक्त शुरू होता है जब इस धान की मिलिंग के लिए दलाल और अधिकारी साथ गांठ करते हैं और धान को मिलिंग के लिए फर्जी रिलीजिंग ऑर्डर जारी कर मिलिंग के लिए दूसरी जगह भेजा गया।

74 व्यक्तियों के खिलाफ 12 थानों में 12 एफआईआर दर्ज
जबलपुर में धान परिवहन के मामले में फर्जी रिलीज आर्डर के जरिए की गई हेराफेरी को लेकर कलेक्टर दीपक सक्सेना को लंबे समय से शिकायत भी मिल रही थी शिकायत के बाद कलेक्टर ने एक जांच टीम का गठन किया और उसे टीम की खुद ही मॉनिटरिंग करते रहे। परत दर परत धीरे-धीरे करके मिलिंग के नाम पर घोटाला सामने आया.. इस घोटाले में 74 व्यक्तियों के खिलाफ 12 थानों में 12 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
इन लोगों के नाम एफआईआर में शामिल
जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है उसमें नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक सहित 13 कर्मचारी, 17 राइस मिलर और सहकारी समितियों के उपार्जन केंद्रों से जुड़े 44 अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। जाँच में पता चला कि जबलपुर जिले में अंतर-जिला मिलिंग के लिए बाहर भेजी जाने वाली धान को मिलर्स ने स्थानीय दलालों के जरिए बेच दिया। धान परिवहन के लिए 614 ट्रिप में से 571 का टोल नाकों पर कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। साथ ही, फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबरों का इस्तेमाल किया गया, जिसमें 307 ट्रिप में ट्रक की बजाय कारों के नंबर दर्ज किए गए।
खुलासे के बाद जिले में मचा हड़कंप
प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, 30 करोड़ 14 लाख 19 हजार 600 रुपये कीमत की 1 लाख 31 हजार 52 क्विंटल धान की हेराफेरी हुई, यह कार्रवाई अपर कलेक्टर नाथूराम गोंड की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर की गई। इस मामले ने जिले में हड़कंप मचा दिया है और दोषियों के खिलाफ आगे भी सख्त कदम उठाए जाने की संभावना है।
करीब 30 करोड़ 14 लाख की धान कागजों पर खरीद ली
जाँच में सामने आया कि मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन से जुड़े कर्मचारियों ने मिलर, सोसाइटियों के साथ मिलकर कागजों पर धान चढ़ाई, परिवहन किया और फर्जी रिलीज ऑर्डर काटे। करीब 30 करोड़ 14 लाख की धान कागजों पर खरीद ली गई। इसमें से करीब 14 करोड़ की धान जबलपुर के बाजार में ही बेची गई और शेष 16 करोड़ की धान को आनलाइन पोर्टल पर चढ़ाया फिर ग्वालियर, उज्जैन, मुरैना, मंडला, मनेरी आदि स्थानों के मिलर्स द्वारा सोसाइटी से धान उठाने के बजाए स्थानीय दलालों को बेची गई।
कागजों पर ट्रक से धान का फर्जी परिवहन दिखाया
इन्होंने कागजों पर ट्रक से धान का फर्जी परिवहन दिखाया, जबकि न तो इन ट्रक का टोल कटा और न ही टोल कैमरे में दिखे, जांच समिति ने जब पूरे फर्जीवाड़े के तार जोड़े तो कई अधिकारी, कर्मचारियों और मिलर्स की सांठगांठ सामने आई। इस दौरान 17 मिलर्स ने धान का परिवहन करने के बजाए उसे जबलपुर में ही बेच दिया। इसमें मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन के अधिकारी से लेकर ऑपरेटर और केंद्र प्रभारी व कंप्यूटर ऑपरेटर सीधे तौर पर शामिल रहे।
जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट