मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में आज फिर प्रमोशन में आरक्षण मामले पर सुनवाई हुई, राज्य सरकार ने कोर्ट के निर्देश पर डेटा पेश किया, सरकार की तरफ से अदालत में सीलबंद लिफाफे में कर्मचारियों के आंकड़े प्रस्तुत किये, मामले की अगली सुनवाई 12 नवम्बर को की जाएगी।
कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण मामले पर मध्य प्रदेश की जबलपुर बेंच में सुनवाई चल रही है, 16 अक्टूबर को हुई इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में आवेदन दिया गया था जिसमें प्रमोशन में आरक्षण के लिए अंतरिम राहत देने की मांग की गई थी, कोर्ट से आग्रह किया गया था कि विभागीय पदोन्नति समिति (DPC ) की बैठकें आयोजित करने की अनुमति फड दी जाये
राज्य सरकार ने पेश किया क्वांटिफायबल डेटा
अदालत ने इस मांग पर कहा कि पहले राज्य सरकार पदोन्नति से जुड़े आंकड़े कोर्ट में पेश करे उसके बाद इस मामले में अंतिम सुनवाई की जाएगी। इसी क्रम में आज 28 अक्टूबर को हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई जिसमें राज्य सरकार ने क्वांटिफायबल डेटा पेश किया, सरकार ने सीलबंद लिफाफे में कर्मचारियों के आंकड़े पेश किए।
HC ने राज्य सरकार के जवाब पर जताया असंतोष
सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए और महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कोर्ट में उपस्थित होकर सरकार का पक्ष रखा। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि कुछ विभागों में पहले ही आरक्षित वर्ग के कर्मचारी ज्यादा है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के द्वारा पेश किए गए जवाब पर असंतोष जताते हुए प्रमोशन पॉलिसी और आंकड़ों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
अगली सुनवाई 12 नवम्बर को
चीफ जस्टिस की बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह सभी विभागों का एकीकृत चार्ट तैयार कर कोर्ट में पेश करें। इसमें दर्शाया जाए कि प्रत्येक विभाग में आरक्षित वर्ग का वर्तमान प्रतिनिधित्व कितना है, साथ ही कहा गया कि यह कार्य केवल आंकड़ों का संग्रह नहीं बल्कि सही नियमों पर आधारित गणना होनी चाहिए। अगली सुनवाई 12 नवम्बर को होगी।
पदोन्नति के नए नियमों के विरोध में कुछ कर्मचारी पहुंचे हैं हाई कोर्ट
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की कैबिनेट ने 17 जून को मप्र लोक सेवा प्रमोशन नियम 2025 को मंजूरी दी थी। कर्मचारियों को इसमें कुछ खामियां दिखाई दी जिसके बाद विरोध में कुछ कर्मचारी हाई कोर्ट पहुंच गए थे। हाई कोर्ट ने 7 जुलाई को कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई तक पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। तभी से सभी 54 विभागों में पदोन्नति की प्रक्रिया रुकी हुई है।
जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट





