जबलपुर। प्रतिबंधित आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानि सिमी से जुड़े मामलों की जबलपुर में स्पेशल बेंच ने सुनवाई शुरू की है। दो दिनो तक चलने वाली इस विशेष सुनवाई में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रकरणों को सुना गया। यह सुनवाई विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण प्राधिकरण की अध्यक्ष और दिल्ली हाईकोर्ट की जज मुक्ता गुप्ता द्वारा की जा रही है। देश में आतंकी गतिविधियों को संचालित करने वाले प्रतिबंधात्मक संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967 के तहत गैर कानूनी संगठन घोषित किया है।
हाल के सालों में सिमी के खिलाफ की गई कार्यवाहियों से जुड़े करीब 30 मामलों पर सभी पक्षों ने अपने तर्क पेश किए। सुनवाई के दौरान उन लोगों से भी साक्ष्य आमंत्रित किए गए जिनके पास सिमी के खिलाफ की गई कार्यवाहियों से संबंधित सबूत हैं। आज की सुनवाई में खंडवा में हुए सनसनीखेज जेल ब्रेक और एनकाउंटर के मामलों पर भी विशेष ट्रिब्यूनल ने सुनवाई की। केंद्र सरकार के विधि मंत्रालय द्वारा गठित ट्रिब्यूनल प्रत्येक राज्य में जाकर वहां से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई करता है और अंतिम फैसला लेता है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से जुड़े करीब 30 मामलों की सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल ने जबलपुर को चुना। इस दौरान अनेक आपत्तिकर्ता भी ट्रिब्यूनल के सामने हाज़िर हुए और सिमी के खिलाफ की जा रही कार्यवाहियों पर अपनी आपत्ति जाहिर की। अपनी दलीलों में आपत्तिकर्ताओं ने सिमी के खिलाफ की गई कार्यवाहियों पर ऐतराज़ जाहिर किया लेकिन अपने तर्कों की मजबूती के लिए वे कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाए। विशेष ट्रिब्यूनल की सुनवाई में केंद्र सरकार का पक्ष रखने असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद भी जबलपुर पहुंची। उन्होंने बताया कि ट्रिब्यूनल राज्यवार सुनवाई कर प्रकरणों में आखिरी फैसला लेगा। केंद्र सरकार ने आतंकी संगठन सिमी पर साल 2001 में प्रतिबंध लगाया था और इसके बाद से ही इस संगठन पर आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। पहले सिमी पर दो दो साल के लिए प्रतिबंध लगता रहा लेकिन अब पांच सालों के लिए इस संगठन पर प्रतिबंध लगाकर इसकी मियाद लगातार बढ़ाई जा रही है।