जबलपुर। मध्य प्रदेश इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है। कमलनाथ सरकार ने अब इस संकट से उभरने के लिए राजस्व वसूली का तरीका अपनाया है। कमलनाथ सरकार ने कलेक्टरों को टारगेट दिया है कि वह अपने अपने जिले में राजस्व वसूली करें। राजस्व वसूली के अभियान में कई तरह के नए खुलासे भी हो रहे हैं जबलपुर जिला प्रशासन को राज्य शासन की तरफ से 64 करोड़ रुपए का टारगेट दिया गया है। जिसे वसूलने के लिए जिला प्रशासन का आमला मैदान में उतर आया है पिछले 2 दिनों में हुई कार्रवाई के नतीजे में जिले में अब तक 15 करोड़ रुपए की वसूली भी हो चुकी है कलेक्टर भरत यादव का कहना है कि जबलपुर में पिछले दो दशकों से कई ऐसे संस्थान है जिनसे राजस्व वसूला ही नहीं गया था यानी कि साफ है कि इन दो दशकों में जो जिम्मेदार अधिकारी रहे उन्होंने राजस्व वसूली पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। यही वजह रही कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज पर भी 25 करोड़ रुपए का राजस्व वसूली निकला। इसके साथ-साथ जबलपुर शहर के कई नामी-गिरामी संस्थाएं और व्यवसायिक प्रतिष्ठान है जिनका पिछले कई सालों से राजस्व लिया ही नहीं गया था। अब जब जिला प्रशासन ने राजस्व वसूली पर सख्ती दिखाई है तो अधिकारी भी आनन-फानन में बकायेदारों पर कार्रवाई करने में जुट गए हैं। कलेक्टर का कहना है कि जिस तरह से बकायेदारों की लिस्ट सामने आ रही है उससे लगता है कि जबलपुर जिले में ही हम तकरीबन सवा सौ करोड़ रुपए की राजस्व वसूली कर लेंगे। राजस्व वसूली के इस अभियान से इतना तो साबित हो गया है कि पिछले कई सालों से इस ओर ना तो प्रशासन ने ध्यान दिया और ना ही सरकार ने। इस कार्रवाई में मध्य प्रदेश में राजस्व को लेकर जहां जनता में जागरूकता आएगी तो वही प्रदेश का खजाना भी बहुत हद तक भर जाएगा।