जबलपुर, संदीप कुमार। दीपावली-न्यू ईयर और क्रिसमिस में आतिशबाजी होने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बड़ा आदेश दिया है, एनजीटी ने अपने आदेश में जिला प्रशासन को आतिशबाजी पर निगरानी रखने के निर्देश भी दिए है।
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जहां अधिक एयर इंडेक्स वहाँ नही होगी आतिशबाजी…..
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा है कि एन.सी.आर में आतिशबाजी नही होगी इसके अलावा जहाँ एयर इंडेक्स खतरे के निशान पर है वहाँ भी आतिशबाजी नही होगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में निगरानी रखने के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिए है साथ ही अपने आदेश में एनजीटी ने कहा है कि जहाँ आतिशबाजी में बैन नही है वहाँ पर ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल हो। गौरतलब है कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कई राज्य सरकारों ने पटाखों पर बैन लगा दिया है। लोगों के स्वास्थ्य और वातावरण को ध्यान में रखते हुए पटाखों की खरीद-बिक्री पर लोक लगाई गई। ऐसे में अब ग्रीन पटाखों की चर्चा हो रही है।
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ग्रीन पटाखों को खास तरह से तैयार किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे सामान्य पटाखों की तुलना में प्रदूषण काफी कम होता है। यह दिखने में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं। ग्रीन पटाखे तीन प्रकार के होते हैं, सेफ वाटर रिलीजर, सेफ थर्माइट क्रैकर और सेफ मिनिमल एल्युमीनियम पटाखे। ग्रीन पटाखों में भी एल्युमीनियम, बेरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन जैसे प्रदूषणकारी रसायनों का उपयोग किया जाता है, लेकिन इनकी मात्रा कम होती है। वहीं कुछ ग्रीन पटाखों में इन रसायनों का बिल्कुल भी उपयोग नहीं होता है। ग्रीन पटाखों में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले नुकसानदायक कैमिकल नहीं होते। इसलिए इनकी मदद से वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सकता है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा विकसित, ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों की तुलना में 30 फीसदी कम प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं।